

हिन्दी पंचांग के अनुसार शुक्रवार, 25 मई को ज्येष्ठ मास के अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। अधिक मास हर 3 साल में एक बार आता है। इस एकादशी को कमला एकादशी कहा जाता है। शास्त्रों में अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस कारण इस पूरे महीने में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य अध्याय में श्रीकृष्ण ने पूरे वर्ष की सभी एकादशियों का महत्व युधिष्ठिर को बताया है। भगवान विष्णु ही एकादशी तिथि के स्वामी हैं। एकादशी पर किए जाने वाली विष्णु पूजा से सभी पाप खत्म हो सकते हैं, देवी लक्ष्मी की कृपा घर की खुशहाली बढ़ सकती है।
एकादशी व्रत की सामान्य विधि-
1. एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन कर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठकर एकादशी व्रत करने का संकल्प लें।
2. भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा किसी विशेषज्ञ ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा शुभ रहेगा।
3. व्रत करने वाले व्यक्ति को दिनभर अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, अगर ये संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।
4. भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान करवाकर चरणामृत ग्रहण करें। दीपक जलाकर भगवान को पीले फूल, धूप, नैवेद्य आदि सामग्री चढ़ाएं। विष्णुजी के साथ ही देवी लक्ष्मी की पूजा भी करें।
5. किसी गरीब सुहागिन को सुहाग का सामान दान करें।
6. घर के मंदिर में बैठकर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप 108 बार करें।