बैसाखी इस साल सबके लिए है बहुत खास, जानिए क्या है इसका इतिहास


भारत त्योहारों का देश है, यहां कई सारे त्योहार धूम-धाम से मनाये जाते हैं जिनमें से बैसाखी का त्योहार बहुत खास माना जाता है, और जो इस साल 14 अप्रैल, दिन शनिवार को मनाया जा रहा है। वैसे तो यह तिथि हर माह पड़ती हैं पर मकर संक्राति की तरह बैशाख माह की इस संक्राति का भी विशेष महत्‍व होता है। बैसाखी का संबंध फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। कहा जाता है कि किसान इस त्योहार के बाद ही गेहूं की फसल की कटाई शुरु करते हैं। किसान इसलिए खुश हैं कि अब फसल की रखवाली करने की चिंता समाप्त हो गई है। इस दिन गंगा स्‍नान का अत्‍यंत महत्‍व होता है। इस दिन पाप मोचनी गंगा में स्‍नान करने से पुण्‍य लाभ होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गुरु गोबिन्द सिंह ने वैशाख माह की षष्ठी तिथि को खालसा पंथ की स्थापना की थी।सामाजिक भेदभाव को खत्म करने के लिए पंज प्यारों के हाथों से अमृत चखकर सिंह की उपाधि धारण की थी। इसके बाद ही सिखों के लिए केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृ्पाण धारण करना जरूरी किया था।

सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। बैसाखी का पर्व जब आता है उस समय सर्दियों की समाप्ति और गर्मियों का आरंभ होता है। इसी के आधार स्वरूप लोक परंपरा धर्म और प्रकृति के परिवर्तन से जुड़ा यह समय बैसाखी पर्व की महत्ता को दर्शता है। इस पर्व पर पंजाब के लोग अपने रीति रिवाज के अनुसार भांगडा और गिद्धा करते हैं। बैसाखी का यह खूबसूरत पर्व अलग अलग राज्‍यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। केरल में यह त्योहार ‘विशु’ कहलाता है। बंगाल में इसे नब बर्षा, असम में इसे रोंगाली बीहू, तमिलनाडु में पुथंडू और बिहार में इसे वैषाख के नाम से जाना जाता है। बैसाखी का पर्व पंजाब के साथ-साथ पूरे उत्‍तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।