

जयपुर । राज्य सरकार के सफलतम 4 वर्षो के दौरान स्वायत्त शासन विभाग द्वारा प्रदेश में जारी विभिन्न योजनाओं अमृत योजना, स्मार्ट सिटीज मिशन, हृदय योजना, अन्नपूर्णा रसोई योजना, मुख्यमंत्री जलस्वावलम्बन अभियान, यूआईडीएसएसएमटी, सीवरेज परियोजना, सड़क मरम्मत एवं पुनरूद्धार कार्य, पेयजल परियोजना, आर.ओ.बी./आर.यू.बी. योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्मार्ट राज परियोजना, एनर्जी सेविंग परियोजना, स्वच्छ भारत मिशन, दीनदयाल अन्त्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, अग्निशमन सेवाओं का विस्तार, गौरव पथ, आरयूआईडीपी फेज-तृतीय के माध्यम से प्रदेश के हर क्षेत्र में चहुमुखी विकास किया है।
नगरीय विकास आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री श्री श्रीचन्द कृपलानी ने नगर नियोजन कार्यालय में शुक्रवार को आयोजित पर््रेस कांफ्रेस में बताया कि माननीय प्रधानमंत्री महोदय द्वारा 25 जून, 2015 को अमृत योजना का शुभारंभ किया गया है। योजना के प्रमुख कार्यो में जलापूर्ति, सीवरेज सुविधाएं व सेप्टेज प्रबंधन, बाढ़ को कम करने के लिए वर्षा जल नाले, पैदल मार्ग, गैर-मोटरीकृत व सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं, पार्किंग स्थल एवं विशेषतः बच्चों के लिए हरित स्थलों और पाकोर्ं व मनोरंजन केन्द्रों का निर्माण और उन्नयन करके शहरों की जन सुविधाएं बढ़ाकर नागरिक जीवन को ऊॅचा उठाना है। अमृत योजना के अंतर्गत राज्य के कुल 29 शहरों- जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर, उदयपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, पाली, हनुमानगढ़, अलवर, सीकर, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, चुरू, बारां, चित्तौड़गढ़, नागौर, बूंदी, श्रीगंगानगर, टोंक, झुन्झुनू, भिवाड़ी, ब्यावर, गंगापुरसिटी, हिण्डौनसिटी, सुजानगढ़, किशनगढ़ व झालावाड़ को चयनित किया गया है। राज्य के लिए योजना अवधि में केन्द्र सरकार द्वारा रूपये 3223.94 करोड़ का बजट प्रावधान स्वीकृत किया गया है। जिसके अन्तर्गत जलापूर्ति-1007.36 करोड़ रूपये सीवरेज-2107.75 करोड़ रूपये वर्षा जल नाले-29.83 करोड़ रूपये एवं उद्यान- 79.00 करोड़ रूपये के 88 परियोजनाओं के कार्य करवाये जा रहे है। अमृत योजना में अब 3187.11 करोड़ रूपये की 88 परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। जिनमें जलापूर्ति के 23, सीवरेज के 31, नाले के 5 एवं पार्क के 29 कार्य सम्मिलित है। कुल स्वीकृत राशि में से 2343.47 करोड़ रूपये के 51 कार्य आवंटित किये जा चुके है, 616.60 करोड़ रूपये के 28 कार्य निविदा प्रक्रिया में है तथा 193.03 करोड़ रूपये के 9 कार्यो की निविदाएं आमंत्रित की जानी है। कुल 88 कार्य प्रगति पर है।
उन्होंने बताया कि 25 जून, 2015 में स्मार्ट सिटी मिशन का शुभारंभ किया गया है। मिशन के प्रमुख कार्यो में पर्याप्त जलापूर्ति, सुनिश्चित विद्युत आपूर्ति, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित सफाई, सक्षम शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन, गरीबों के लिए किफायती आवास, सक्षम आईटी कनैक्टिविटी और डिजीटेलाइजेशन, सुशासन, ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी एवं सुस्थिर पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा, महिला एवं बच्चों और वृद्ध नागरिको की सुरक्षा आदि शामिल है। स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत राज्य के चार शहरों – जयपुर, उदयपुर अजमेर एवं कोटा को चयनित किया गया है। परियोजना निधि में प्रत्येक शहर के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 500 करोड़ रूपये एवं राज्य सरकार (राज्य एवं निकाय) द्वारा 500 करोड़ रूपये कुल राशि रूपये 1000 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया तथा इस योजना में प्रतिवर्ष केन्द्र सरकार द्वारा 100 करोड़ रूपये एवं राज्य सरकार द्वारा 100 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का प्रावधान किया गया है।
केन्द्र सरकार द्वारा मिशन के तहत सम्मिलित चारों शहरों के लिए कुल 7025 करोड़ रूपये का निवेश प्लान – जयपुर 2401 करोड़ रूपये, अजमेर 1947 करोड़ रूपये, उदयपुर 1221 करोड़ रूपये एवं कोटा 1456 करोड़ रूपये अनुमोदित किया गया है। मिशन के दिशा निर्देशानुसार समस्त चारों शहरों में स्मार्ट सिटी लिमिटेड़ (एसपीवी) का गठन किया जा चुका है। जयपुर, उदयपुर व कोटा में परियोजना प्रबन्धक सलाहकार (पीएमसी) की नियुक्ति की जा चुकी है। मिशन के तहत कुल 928.8 करोड़ रूपये राशि सम्बन्धित स्मार्ट सिटीज को हस्तान्तरित की जा चुकी है। जिसमें केन्द्र व राज्यांश क्रमशः 579 करोड़ रूपये व 349.80 करोड़ रूपये है। अब तक कुल स्वीकृत राशि 7025 करोड़ रूपये के 270 कार्यों में से 154.29 करोड़ रूपये के 29 कार्य पूर्ण किये जा चुके है तथा 1114.91 करोड़ रूपये के 34 कार्य प्रगति पर है एवं 2121.37 करोड़ रूपये के 61 कार्य निविदाधीन है व 793.49 करोड़ रूपये की 33 कार्यों की डीपीआर निर्माणाधीन है तथा 2597.53 करोड़ रूपये की 113 कार्यों की डीपीआर तैयार की जानी है।
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जयपुर शहर में 20 स्थानाें पर बाईसाईकिल शेयरिंग स्टेण्ड स्थापित किये जा रहे है। इसी प्रकार चार दिवारी के भीतर 50 राजकीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास रूम का निर्माण किया जायेगा। अब तक 15 राजकीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास रूम निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है। जयपुर शहर में 50 स्थानों पर स्मार्ट टॉयलेट का निर्माण किया जा रहा है। अब तक योजना के तहत जयपुर शहर में 20 स्थानों पर स्मार्ट टॉयलेट का निर्माण किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरातत्व विकास एवं पुरूद्धार योजना (हृदय) स्कीम 21 जनवरी, 2015 को शत-प्रतिशत भारत सरकार के सहयोग से पुरातत्व महत्व के शहरों को समग्र विकसित करने के लिए प्रारम्भ की गई है।
अजमेर शहर के लिए हृदय योजनान्तर्गत नया बाजार विरासत सैर पहली पुनरोद्धार योजना है। योजना के तहत 22.80 एकड़ क्षेत्रफल में कुल सैर लंबाई 1.80 कि.मी. अकबरी किला, सोनी जी की नसियां, बादशाही हवली, घी मण्डी गेट व अन्य पुरातात्विक स्थलों को सम्मिलित किया गया है। नया बाजार विरासत सैर परियोजना की कुल रूपये 5.47 करोड़ की लागत की विस्तृत परियोजना तैयार की गई हैं। आनासागर व फायसागर के सुधार व जीर्णोद्धार के लिए 1169 करोड़ रूपये की परियोजना तैयार की गई है। इस योजना के तहत आनासागर व फायसागर के आस-पास के अतिक्रमण हटाये जाकर वहॉ ट्रेक, कैपेटेरिया तथा सौदर्यकरण आदि के कार्य किये जा रहे है। ऎतिहासिक एवं धार्मिक नगरी पुष्कर में स्थित ऎतिहासिक भवनों के संरक्षण के कार्य के लिए एक परियोजना 6.16 करोड़ रूपये की तैयार की गई है। परियोजना में तेजी से कार्य जारी है। अजमेर से जयपुर की और आने वाली राजमार्ग सहित अजमेर के एन्ट्री पाईन्ट एवं अन्य सहयोगी सड़कों के सुधार के कार्य की 3.44 करोड़ रूपये की परियोजना तैयार की गई है तथा परियोजना में कार्य तेजी से जारी है। अजमेर के सुप्रसिद्ध सुभाष उद्यान की कायाकल्प किये जाने के लिए एक महत्वाकंक्षी योजना 8.30 करोड़ रूपये की तैयार की गई है। जिसके तहत सुभाष उद्यान में वांकिग ट्रेक, ओपर जिमनेजियम, बच्चों के खेल-कूद के उपकरण तथा पेड़-पौधे व अन्य सुविधाऍ विकसित की जा रही है।
श्री कृपलानी ने बताया कि प्रदेश की समस्त 191 नगरीय निकायों में वेब बेस्ड ई-गर्वनेन्स आधारित स्मार्ट राज परियोजना प्रारम्भ की गई है। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 125 करोड़ रूपये है। इस परियोजना के अन्तर्गत राज्य स्तरीय डेटा सेंटर एवं समस्त निकायों में हार्डवेयर व नेटवर्किंग का कार्य सम्मिलित है। शहरी विकास कर के दायरे में विस्तार के लिए प्रत्येक मकान/दुकान इत्यादि का सर्वें करना, केन्द्र सरकार की अमृत योजना में प्रस्तावित सुधारों को लागू करना, स्मार्ट राज पोर्टल के माध्यम से आम नागरिकों द्वारा सेवाओं को आनलाईन लेने में सक्षम हो सकेगा, सभी नागरिक कभी भी एवं किसी भी समय विभिन्न सेवाऎं लेने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकते है एवं भुगतान आनलाईन स्मार्ट राज पोर्टल के माध्यम से किया जा सकेगा।
नगरीय विकास कर के लिए सभी मकानों/दुकानों का सर्वे करना, 28 सेंवाऎं आनलाईन उपलब्ध कराना (जिनमें 7 सेंवाऎं राज्य सरकार द्वारा पूर्व से ही चालू है एवं 21 आनलाईन सेवाएें स्मार्ट राज परियोजना के अन्तर्गत बनायी जानी है)। परियोजना के अन्तर्गत आनलाईन सेवाओं में भुगतान प्राप्त करना, व्यापार लाइसेंस, मांग पत्र जारी करना, गृह कर निर्धारण एवं भुगतान, डबल एन्ट्री लेखा का संधारण, सम्पत्ति का प्रबंधन, संस्थापन का प्रबंधन, ठोस कचरा प्रबंधन, भवन निर्माण स्वीकृति, अनापत्ति प्रमाण पत्र, निविदा एवं निर्माण कार्यों का प्रबंधन, ई-ऑक्शन, वेब पोर्टल, भंडार का प्रबंधन, लीज के बिल तैयार करना एवं प्राप्त करना एवं नगरीय सम्पत्ति का प्रबंधन शामिल है।
भवन निर्माण स्वीकृति ः- ऑनलाईन बिल्डिंग प्लान स्वीकृती, नगरीय विकास कर जमा कराना, ट्रेड लाईसेंस स्वीकृति, अग्निशमन अनापत्ति जारी करना। प्रदेश के 7 संभागीय मुख्यालयों जयपुर, जोधपुर, अजमेर, बीकानेर, भरतपुर, कोटा एवं उदयपुर व 2 जिला मुख्यालयों बून्दी एवं सवाईमाधोपुर में 01 अक्टूबर, 2017 से ई-गर्वनेन्स के अन्तर्गत स्मार्ट राज पोर्टल के माध्यम से ऑनलाईन बिल्डिंग प्लान स्वीकृती, नगरीय विकास कर जमा कराना, ट्रेड लाईसेंस स्वीकृति, अग्निशमन अनापत्ति जारी की जायेगी। राज्य डाटा सेंटर में सर्वर स्थापित एवं चालू तथा 32 नगरीय निकायों में नेटवर्किंग का कार्य सम्पन्न हो चुका है एवं कम्पयूटर व प्रिंटर भी सप्लाई हो चुकी है तथा स्मार्ट राज वेब पोर्टल पर 4 मॉड्यूल्स (बिल्डिंग परमिशन, फायर, एन.ओ.सी., टे्रड लाइसेन्स व यू.डी.टैक्स) ऑनलाईन गो-लाइव किये जा चुके है एवं 22.11 लाख प्रोपर्टीज (10.83 लाख प्रोपर्टीज स्थानीय निकायों द्वारा सत्यापित (5 प्रतिशत रेण्डम) की जा चुकी हैं) का सर्वे किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में परिवहन व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों में कुल 57 आरओबी/ आरयूबी के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है तथा इसके लिए 1708.71 करोड़ रूपये की एक महत्वाकांक्षी योजना बनायी गयी है। योजना में राज्यांश रूपये 1059.32 करोड़ रूपये एवं रेलवे अंशदान रूपये 649.38 करोड़ रूपये है। प्रदेश में कुल 57 आरओबी/आरयूबी में से 30 आरओबी/आरयूबी का कार्य पूर्ण हो चुका है। जिनमें अलवर में 4, श्रीगंगानगर में 4, जयपुर में 3, जोधपुर में 2, कोटा में 2, बीकानेर में 2, चित्तौड़गढ़ में 2, बाड़मेर, सांगरिया, चौमू, सूरतगढ़, मकराना, नांवा, रायसिंह नगर, करनपुर, अजमेर, रींगस एवं भरतपुर शामिल है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (सभी के लिए आवास-2022) में राजस्थान सरकार द्वारा एक नई पॉलिसी (मुख्यमंत्री जन आवास योजना-2015) लागू की गई है। योजना के अन्तर्गंत राज्य में राजकीय भूमि पर अब तक 27 शहरों में 43 योजनाऎं जिनमें ई.डब्ल्यू.एस. के 26231, एल.आई.जी. के 16155 कुल 42386 आवासों का निर्माण सम्मलित है। अब तक 11,992 आवासों का आवंटन किया जा चुका है। भीलवाड़ा शहर हेतु व्यक्गित आधारित निर्माण अनुदान के तहत 180 आवासों के निर्माण हेतु केन्द्र सरकार से स्वीकृत करवाई जा चुकी है। केन्द्र सरकार द्वारा ई.डब्ल्यू.एस. आवासों हेतु राशि रूपये 396.16 करोड़ का अनुदान स्वीकृत किया गया है तथा राशि रूपये 104.30 करोड़ प्रथम किश्त के रूप में राज्य सरकार को हस्तान्तरित की गई है।
श्री कृपलानी ने बताया कि राजस्थान मे स्ट्रीट लाईट के क्षेत्र मे ऊर्जा बचत करने के लिये ‘‘एनर्जी सेविगं प्रोजेक्ट“ तैयार किया गया। जिसके तहत पुरानी टयुबलाईट/सोडियम लाईट के स्थान पर नवीनतम तकनीक युक्त एल.ई.डी. लाईट का उपयोग किया गया। इसका मुख्य उद्वेश्य सड़को पर प्रकाश की मात्रा मे वृद्धि करना व विधुत उपभोग मे कमी करना है। राजस्थान, मे इस योजना को पूर्णतयाः लागू करने के लिए सभी 191 निकायों तथा ई.ई.एस.एल. के मध्य एमओयू सम्पादन की कार्यवाही पूर्ण कर ली गयी है। प्रदेश में अभी तक 8.45 लाख एल.ई.डी. लाईटे लगाई जा चुकी है। 153 निकायो में कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है एवं 22 निकायो में कार्य प्रगति पर है। प्रोजेक्ट अवधि-7 वर्ष तक ई.ई.एस.एल. द्वारा ही रख रखाव कार्य किया जावेगा। इसके पश्चात सभी एल.ई.डी लाईटे व उपकरणों सम्बन्धित निकाय को संभला दिया जावेगा। वर्ष 2015-16, 2016-17 से अभी तक मे एल.ई.डी. लाईट लगने के पश्चात 832.99 लाख युनिट की विद्युत बचत की गयी एवं राजस्व में 6662.638 लाख रुपये की बचत हुई है।
प्रोजेक्ट, सम्पूर्ण राजस्थान में पूरा होने पर प्रतिवर्ष 1515.40 लाख यूनिट बिजली की बचत होगी व जिसकी राशि 12123.2 लाख रुपये है। राजस्थान सम्पूर्ण भारत मे सर्वाधिक एल.ई.डी. स्ट्रीट लाईट लगाने मे प्रथम स्थान पर है। भारत सरकार, द्वारा राजस्थान को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2016 का प्रथम पुरस्कार 14 दिसम्बर, 2016 को ‘ऊर्जा संरक्षण दिवस‘ के अवसर पर नई दिल्ली मे दिया गया। राजस्थान सरकार के ऊर्जा विभाग द्वारा भी इस प्रोजेक्ट को राजस्थान ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2016 के तहत प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित किया गया।
उन्होंने बताया कि देश में स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ 02 अक्टूबर, 2014 को किया गया तथा यह लक्ष्य निर्धारित किया गया कि सम्पूर्ण देश को जनसहभागिता के माध्यम से 02 अक्टूबर, 2019 तक पूर्ण रूप से स्वच्छ बनाया जाये एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें जन्म दिवस पर देश को पूर्ण स्वच्छ बनाकर उन्हें सच्ची श्रृद्धांजली दी जाये। शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) हेतु दिसम्बर 2014 मे दिशा निर्देश जारी कर मार्च 2015 मे मिशन क्रियान्विति हेतु राशि जारी की गई। भारत सरकार द्वारा अब तक 409.60 करोड़ रूपये तथा राज्यांश रूपये 247.37 करोड़ रूपये कुल 656.97 करोड़ रूपये नगरीय निकायों को हस्तान्तरित किये जा चुके है। इसके अतिरिक्त रूपये 140 करोड च्थ्डै के माध्यम से हस्तान्तरण किये जा चुके है। स्वच्छ भारत पोर्टल के अनुसार कुल 2 लाख 70 हजार व्यक्तिगत घरेलू शौचालयो का निर्माण किया जा चुका है तथा 1 हजार सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयो का कार्य पूर्ण हो चुका है।
प्रदेश की 77 नगरीय निकायो को खुले मे शौचमुक्त घोषित किया जा चुका है। जिसमे से 14 निकायो को भारत सरकार द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत् घर-घर कचरा संग्रहण के लिये राज्य की समस्त नगरीय निकायो को निर्देश प्रदान किये गये है। नगरीय निकायो द्वारा उपकरणो का क्रय किया जाकर राज्य के कुल 5300 वार्डो मे से 4250 वार्डो मे घर-घर कचरा संग्रहण का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। वर्तमान में प्रदेश में प्रतिदिन 610 टन कचरे का परिसंस्करण एवं निपटान किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत राज्य के 16 शहरो मे ठोस अपशिष्ठ प्रबन्धन के परिसंस्करण एवं निपटान हेतु प्लांट लगाये जा रहे है। जहॉ पर अनुमानित 1500 टन प्रतिदिन कचरा प्रोसेसिंग हो सकेगा। जयपुर एवं जोधपुर मे वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाये जा रहे है। जिनमे अनुमानित 1000 टन प्रतिदिन कचरे से लगभग 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा।
श्री कृपलानी ने बताया कि दीनदयाल अन्त्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन ;क्।ल्.छन्स्डद्ध केन्द्रीय प्रवर्तित योजना है जिसमें केन्द्रीय अंश 60 तथा राज्यांश 40 प्रतिशत है। योजना का उद्देश्य बहुआयामी पहुँच के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में गरीबों के लिए सतत् आजीविका के अवसर सृजित करना है। वर्ष 2014-15 से राज्य के 40 नगर निकायों में योजना प्रारम्भ की गयी थी, जिसका वर्ष 2016-17 में राज्य की सभी नगर 191 निकायों में विस्तार किया जा चुका है। योजना का उद्देश्य स्वरोजगार हेतु कम ब्याज-दर पर बैंक ऋण उपलब्ध कराना और कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से शहरी गरीबों को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराना है साथ ही शहरी गरीब महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने तथा आजीविका के अवसर प्रदान करने हेतु उन्हें समूहों तथा संगठनों के रूप मेंं विकसित करते हुए मुख्य धारा से जोड़ा गया है। शहरी गरीब महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक विकास को सुनिश्चिम करने के लिए लगभग 100000 शहरी गरीब महिलाओं को 10235 स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया गया है तथा 5478 स्वयं सहायता समूहों को आंतरिक-ऋण व्यवस्था सुदृढ करने के लिए रूपये 5.47 करोड़ आवर्ती कोष उपलब्ध कराया गया है।
व्यक्तिगत सूक्ष्म-उद्यमों की स्थापना के लिए 7014 शहरी गरीबों को 30.41 करोड़ रूपये की धनराशि का ऋण प्रदान किया गया है। अब तक राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम, पेट्रोलियम मंत्रालय के संस्थान सिपेट तथा अन्य प्रशिक्षण प्रदाता संस्थानों यथा ए.टी.डी.सी., आई.एल.डी., ओला व राजकोन के माध्यम से लगभग 16744 प्रशिक्षणार्थियों को निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें से 4618 प्रशिक्षुओं को नियोजित भी किया जा चुका है। शहरी पथ विक्रेताओें की समस्याओं के समाधान, सुदृढ़िकरण तथा विकास सम्बन्धी क्रिया-कलापो हेतु अब तक 189 नगर निकायों में टाऊन वेन्डिंग कमेटियों का गठन किया जा चुका है। राज्य में परियोजना व अन्य मदों के अंतर्गत 6949 व्यक्तियाें की क्षमता वाले कुल 176 आश्रय स्थल निर्मित है, जिनमें से 136 का संचालन परियोजना के दिशा-निर्देशानुसार किया जा रहा है। राजस्थान राज्य में शहरी बेघरों के आवास के अधिकार को सुनिश्चित करने हेतु ‘‘शहरी बेघरों के लिए राजस्थान राज्य की नीति 2017’’ को अधिसूचित करने हेतु विधि प्रकोष्ठ को अगे्रषित किया जा चुका है। परियोजना के तहत प्रदेश में कुल 97 नवीन आश्रय स्थल स्वीकृत किये गये है, जिनमें से 61 का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है एवं उनका सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में कुल 136 आश्रय स्थलों (परियोजना/अन्य मद में निर्मित) का संचालन परियोजना के प्रबन्धन एवं संचालन मद के अंतर्गत किया जा रहा है।
नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में अन्नपूर्णा रसोई येाजना को राज्य की सभी 191 नगर निकायों में प्रारम्भ किए जाने की घोषणा बजट में की गई थी। माननीया मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा 15 दिसम्बर, 2016 को नगर निगम जयपुर में अन्नपूर्णा रसोई योजना का शुभारम्भ किया गया है। अन्नपूर्णा रसोई योजना के तहत श्रमिकों, रिक्शावालो, ऑटोवालो, कर्मचारियाें, विद्यार्थीयों, कामकाजी महिलाओं बुजूर्गो एवं अन्य असहाय व्यक्तियों तथा आम नागरिकों को 5 रूपये में नाश्ता एवं 8-8 रूपये में दोपहर एवं रात्रि भोजन उपलब्ध कराया जाता है। योजना के प्रथम चरण में 12 शहरों में 80 रसोई वैनों के माध्यम से 21000 व्यक्तियों को प्रतिदिन लाभान्वित किया जा रहा था। अन्नपूर्णा रसोई योजना द्वितीय चरण (विस्तार) का शुभारंभ 16 अक्टूबर, 2017 को विजयलक्ष्मी पार्क, अजमेर में माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा किया गया। कार्य में पूर्ण पारदर्शिता रखते हुए खुली निविदाओ के माध्यम से कार्यकारी एजेन्सी (जीवन सम्बल चेरिटेबल ट्रस्ट, कोटा) का चयन कर, अनुबन्ध किया गया है। प्रतिदिन 500 स्मार्ट रसोई वैनो के माध्यम से प्रतिदिन 4,50,000 लोगो को रियायती दर पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाकर लाभान्वित किया जावेगा। अन्नपूर्णा रसोई योजना के अन्तर्गत नये अनुबंधमें प्रति वैन नाश्ता, दोपहर का भोजन एवं रात्रि भोजन की संख्या को 100 से बढाकर 300 कर दिया गया है। नवीन अनुबन्ध में नाश्ता की मात्रा को 250 ग्राम से बढाकर 350 ग्राम तथा दोपहर एवं रात्रि के भोजन की मात्रा को 350 से बढाकर 450 ग्राम किए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही नवीन अनुबन्ध में साधारण रसोई वैनों के स्थान पर स्मार्ट रसोई वैनों का प्रावधान किया गया है, जिसमें सीसीटीवी कैमरे, स्क्रीन इत्यादि से सुसज्जित रहेगें। इसके साथ ही भोजन में माइक्रोन्यूट्रेंट का भी उपयोग किया जाएगा। अन्नपूर्णा रसोई योजना का पूर्णतया ई -मोनेटरिंग सिस्टम को अपनाया जाएगा, जिसके लिए निविदादाता द्वारा निदेशालय में स्वयं के खर्चे पर मोनेटरिंग सिस्टम की व्यवस्था की जाएगी।
उन्होंने बताया कि राज्य में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान (नगरीय) में राज्य के कुल 191 शहरों मे से 66 शहरों का चयन किया गया है अर्थात् प्रत्येक जिले से जिला मुख्यालय सहित 2 शहरों का चयन किया गया है। चुने गये 66 शहरों मे अभियान 9 दिसम्बर 2016 को प्रारम्भ किया गया है। अभियान के अन्तर्गत राजकीय भवनों (छत क्षेत्रफल 300 वर्गमीटर व अधिक) पर रूफ टॉप रेनवाटर हारवेस्िंटग संरचनाओं का निर्माण, प्राचीन बावड़ियों का जीणोर्ंद्वार/मरम्मत कार्य, शहरी क्षेत्रों में सघन वृक्षारोपण/वनीकरण का कार्य तथा निजी भवन मालिकों को रूफ टॉप रेनवाटर हारवेस्टिंग संरचनों के निर्माण व परकोलेशन पिट के निर्माण हेतु प्रेरित करना। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान (नगरीय) प्रथम चरण हेतु रूप्ये 120.00 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया ह। वर्ष 2016-17 के लिये राशि रूपये 75.35 करोड का बजट आवंटन निर्धारित किया गया, तथा रूपये 53.91 करोड की राशि विभिन्न शहरों को जारी की गयी है। अब तक 1099 रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाये जा चुके है तथा 222 बावड़ियों का कार्य पूर्ण हो चुका है। शहरी वनीकरण के लिये 56 शहरो मे स्वीकृत 69 कार्यो के लिये वृक्षारोपण कार्य माह जुलाई (वर्षा के दौरान) वन विभाग द्वारा शुरू किया गया और 65 कार्यो को पूर्ण कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि नगरीय यातायात को और अधिक सुगम बनाने के लिए प्रदेश की 191 नगरीय निकाय क्षेत्रों में गौरव पथ विकसित किये जाने की महत्वाकांक्षी योजना माननीय मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के निर्देशों पर तैयार की गई है। गौरवपथ निर्माण कार्य के लिए शहर की एक मुख्य महत्वपूर्ण सड़क (1 से 3 किमी लम्बाई) को गौरवपथ के रूप में विकसित किया जावेगा जो कि मुख्य आबादी से जुड़ी हुई है। योजना के लिए वर्ष 2016-17 में राजस्थान परिवहन आधारभूत विकास निधि (आरटीआईडीएफ) से राशि रूपयें 89.27 करोड़ व्यय करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2017-18 में राशि रूपयें 357.10 करोड़ दिये जाने की सैद्धान्तिक सहमति भी दी गई है।
प्रदेश की 179 नगरीय निकायेां में गौरव पथ का निर्माण सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा किया जा रहा है। इस योजना पर अनुमानित व्यय राशि रूपयें 44637.00 लाख होने की संभावना है। योजना के तहत प्रत्येक नगरीय निकाय में गौरव पथ निर्माण पर 02.00 करोड़ रूपये व्यय किये जाने का प्रावधान किया गया है। गौरवपथ का निर्माण नगर निकाय जयपुर, जोधपुर, अजमेर, बीकानेर, कोटा, उदयपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, अलवर, भिवाड़ी व श्रीगंगानगर नगरीय निकाय क्षेत्रों में स्वय के राजस्व स्त्रोत से करवाया जायेगा। गौरव पथ योजना के तहत प्रदेश की 191 नगरीय निकायाें में 288.44 किमी. सड़कों का निर्माण किया जाना है। अब तक 158.43 कि.मी. सड़कों का निर्माण 152.60 करोड़ की लागत से किया जा चुका है। योजना के तहत 42 कार्य पूर्ण हो चुके है तथा 125 कार्य कार्य प्रगति पर है।
श्री कृपलानी ने बताया कि प्रदेश में सभी नगरीय निकायाें में अग्निशमन केन्द्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है। वर्तमान में प्रदेश की 90 नगरीय निकायों में अग्निशमन केन्द्र स्थापित नहीं है। इन नगरीय निकायों में से 49 नगरीय निकायों द्वारा अग्निशमन केन्द्र स्थापना के लिए निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी है तथा 21 नगरीय निकायों द्वारा कार्यादेश दिये जा चुके है। इस कार्य पर 21.60 करोड़ रूपये व्यय होने का अनुमान है। वर्तमान में प्रदेश की 191 नगरीय निकाय में से 139 नगरीय निकायों में 390 अग्निशमन वाहन संचालित है। शेष 52 नगरीय निकायों में अग्निशमन सेवाओं को सुदृढ़ रूप से स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाये गये है। जिसके तहत 330 लाख रूपये की लागत से अग्निशमन वाहन क्रय करने की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा चुकी है तथा पॉचवें वित्त आयोग से प्राप्त राशि 64.70 करोड़ रूपये की स्वीकृति जारी की जा चुकी है। नगर निगम जयपुर के लिए 70 मीटर एवं नगर निगम जोधपुर, उदयपुर एवं नगर परिषद भिवाडी के लिए 60 मीटर उचाई के एरियल हाईड्रोलिक लेडर प्लेटफार्म क्रय किये जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। उक्त एरियल हाईड्रोलिक लेडर प्लेटफार्म के क्रय किये जाने पर 60.00 करोड़ रूपये व्यय होने का अनुमान है।
नगरीय विकास मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा योजना के अन्तर्गत राज्य के 11 शहरों-चिड़ावा, नवलगढ़, सूरतगढ़, भादरा, लक्ष्मणगढ़, जैतारण, रामगढ़ शेखावाटी, निम्बाहेड़ा, बड़ी सादड़ी, फतेहनगर सनवाड़ व कुशलगढ़ में 761.38 करोड़ रूपये की सीवरेज परियोजनाएं स्वीकृत की गई है। प्रदेश में कुल 721.94 कि.मी. सीवर लाइन में से 496.66 कि.मी. (68.79 प्रतिशत) सीवर लाईन डाली जा चुकी है। इस योजनान्तर्गत कुल 22 एसटीपी (42.00 एमएलडी) 03 सीवरेज पम्पिंग स्टेशन (10.50 एमएलडी) का निर्माण किया जायेगा। प्रदेश के पॉच शहरों जैतारण, निम्बाहेड़ा, बड़ी सादड़ी, फतेहनगर-सनवाड़ व कुशलगढ़ में दिसम्बर 2017 तक तथा छः शहरों चिड़ावा, नवलगढ़, भादरा, लक्ष्मणगढ़, रामगढ़ शेखावाटी व सूरतगढ़ में मार्च, 2018 तक कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के सात शहरों-बालोतरा, बाँसवाड़ा, श्रीगंगानगर, डीडवाना, मकराना, फतेहपुर शेखावाटी, नाथद्वारा में सीवर लाईन ड़ालने एवं ट्रीटमेन्ट प्लॉट कार्य हेतु 472.44 करोड़ रू की राशि स्वीकृत की गई है। अब तक 493.74 कि.मी. सीवर लाइन में से 467.09 कि.मी. (94.60 प्रतिशत) सीवर लाईन डाली जा चुकी है। बॉसवाड़ा व नाथद्वारा शहर में सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लॉट का कार्य नही है क्योंकि वहॉ पहले से ही एस0टी0पी0 उपलब्ध है। शेष पॉच शहरों (मकराना (1) फतेहपुर शेखावाटी (1), बालोतरा (1), डीडवाना (1), श्रीगंगानगर (3) कुल सात एस.टी.पी बनाये जाने है। कुल सात एसटीपी में से 5 का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा श्री गंगानगर के 2 एस.टी.पी सुरतगढ़, शुगर मील का कार्य प्रगति पर है। श्रीगंगानगर व नाथद्वारा में क्रमशः एसटीपी व सीवरेज का कार्य तेजी से जारी है।
नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री महोदया द्वारा वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में राज्य के 191 स्थानीय निकाय क्षेत्रों में 1000 करोड़ रूपये के सड़क निर्माण/पुनरूद्धार कार्य करवाने की घोषणा की गई है। क्षतिग्रस्त/खराब सड़कों का निर्माण/मरम्मत कार्य करवाए जाने हेतु समस्त नगरीय निकायों द्वारा तैयार तकनीकी अनुमान के आधार पर निविदाऍ आमंत्रित की कार्यवाही की जा रही है। इन कार्यो के कार्यादेश दिसम्बर माह में जारी किये जाना प्रस्तावित है। समस्त शहरी निकायों की सम्बद्ध सड़कों की मरम्मत/पनरूद्धार का कार्य माह जनवरी, 2018 में शुरू करवाया जाकर अक्टूबर, 2018 तक पूर्ण कराया जाना प्रस्तावित है।
उन्होंने बताया कि आरयूआईडीपी फेज तृतीय में टोंक, पाली, श्रीगंगानगर, झुन्झुनू, भीलवाड़ा, हनुमानगढ़ शहरों में सीवरेज व वाटर सप्लाई के लिये 3660 करोड रूपये की परियोजना पर कार्य प्रारम्भ किया गया है। परियोजना ऋण राशि 2200 करोड़ रूपये है। जिसमें से 1500 करोड़ रूपये की प्रथम किश्त प्राप्त हो चुकी है। परियोजना में जलप्रदाय, सीवरेज के कार्य किये जायेंगे। प्रोजेक्ट ऋण के अन्तर्गत छः शहर क्रमशः श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, झुंझनू, पाली, भीलवाड़ा एवं टोंक को शामिल किया गया है। कुल स्वीकृत 8 पैकेज (पाली में 2 एवं अन्य शहरों में 1-1 कार्य) आवंटित किये जा चुके हैं। अब तक लगभग राशि रूपये 2410 करोड़ के आवंटित कार्यों में अब तक 258 करोड़ रूपये का व्यय किया जा चुका है। प्रोग्राम लोन ःप्रोग्राम लोन के तहत लगभग 250 मिलियन डालर (राशि 1500 करोड़) के तहत 7 शहरों यथा कोटा, झालावाड़, सवाई माधोपुर, उदयपुर, बीकानेर, माउण्टआबू एवं बांसवाड़ा में मलजल प्रबंधन आदि के कार्य कराये जाना प्रस्तावित है। प्रोग्राम ऋण के अन्तर्गत 07 मे से 05 शहरो में कार्य राशि रूपये 625 करोड के आवंटित किये जा चुके है तथा शेष 02 शहरो में कुल राशि रूपये 750 करोड यथा कोटा(663 करोड) व माउन्टआबू (87करोड) में सीवरेज कार्य हेतु निविदाऍ आमंत्रित की जाकर कार्यादेश हेतु स्वीकृति की प्रक्रिया में है।