पूजा की पूरी विधि, आवश्यक नियम और निषेध का विस्तार पूर्वक वर्णन


हिंन्दु धर्म का नारद पुराण ग्रंथ भगवान विष्णु को समर्पित है। इस धर्म ग्रंथ में विष्णु की पूजा की पूरी विधि, आवश्यक नियम और निषेध का विस्तार पूर्वक वर्णन है। इसके अलावा इस ग्रंथ में पूजा हेतु आवश्यक नियमों के बारे में भी बताया गया है।

नारद पुराण के अनुसार यदि पूजा के दौरान मनुष्य के मन-मस्तिष्क में 4 भावनाएं आती है तो उसकी पूजा निष्फल मानी जाती है। नारद पुराण के अनुसार हम आपको ऐसे 4 भावनाओं के बारे में बता रहे हैं जिसको मस्तिष्क में आने पर पूजा सफल नहीं मानी जाती है।

लोभ

नारद पुराण के अनुसार ईश्वर की पूजा बिना किसी लोभ और लालच के करना चाहिए। पूजा के दौरान यदि मन में किसी तरह का स्वार्थ है तो ऐसी पूजा से ईश्वर प्रसन्न नहीं होते हैं। मन में लालच-लोभ रखकर पूजा करना निष्फल मानी जाती है।

दबाव

भगवान की पूजा किसी के दबाव में आकर नहीं करनी चाहिए। भगवान के पूजा हमेशा अपने दिल और मन से ही करनी चाहिए। दूसरे के कहने पर की गई पूजा कभी भी फलदायी नहीं होती है।

अज्ञानता

अज्ञानता से की गई पूजा से पहले विधिवत् नियम को जान लेना चाहिए। अज्ञानता से की गई पूजा सफल नहीं मानी जाती है। साथ ही गलत गलत मंत्रों का जाप भी दोष का कारण बनता है। इसके अलावे पूजा की अधूरी की विधि भी भक्तों को सुफल प्राप्त नहीं होता है।

डर या भय

नारद पुराण के अनुसार मन में डर या भय रखकर पूजा नहीं करनी चाहिए। मन में डर या भय रखकर पूजा करने से पूजा का फल नहीं प्राप्त होता है।