

कथाओं के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण का विवाह सोलह हजार रानियों के साथ हुआ था, ऐसी कथाएँ हमारे पुराणों में देखने को मिलती है. इसके पीछे की सही कहानी क्या है आइये जानते है.
हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और उनकी बंधक से 16,000 कन्याओं को मुक्त करवाया था.
जब नरकासुर का भगवान श्री कृष्ण ने वध कर दिया तो सभी बंधक कन्याएं उसकी केद से आजाद हो गयी और भगवान श्री कृष्ण से प्राथना करने लगी की अब हमें यह समाज नहीं स्वीकारेगा और आप ही हमें अब इस बंधन में से मुक्त कर सकते है.
अब यह सोलह हजार कन्याओं के सम्मान के लिए भगवान श्री कृष्ण ने इन सभी के साथ विवाह कर लिया और वो भी उसकी पत्नी सत्यभामा की ही सहमती के कारण श्रीकृष्ण ने 16,000 कन्याओं से विवाह किया.
तभी से ही इन सभी कन्याओं की मुक्ति के लिए राक्षस नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी में दीपदान की शुरुआत हुई और ऐसा माना जाता है की इसी दिन संध्या के समय जो भी कोई दीपदान करता है उसको अकाल मृत्यु का भय बिलकुल भी नहीं रहता.