भारत की ग्रेटा; 11 साल की रिद्धिमा केदारनाथ की आपदा के बाद से पर्यावरण बचाने में जुटीं, एनजीटी में भी शिकायत कर चुकी हैं


उत्तराखंड के हरिद्वार की रहने वाली 11 साल की रिद्धिमा पांडे इन दिनों चर्चा में हैं। यूएन क्लाइमेट समिट में स्वीडन की पर्यावरण ग्रेटा थनबर्ग के साथ रिद्धिमा अन्य युवा कार्यकर्ताओं ने जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेंटीना और तुर्की के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। इसके मुताबिक ये देश बच्चों के अधिकारों से जुड़ी यूएन की संधि के तहत जिम्मेदारियां नहीं निभा रहे हैं। अब रिद्धिमा को भारत की ग्रेटा कहा जा रहा है, जानिए छोटी सी उम्र में पर्यावरण जैसे संजीदा मुद्दे को यूएन तक ले जाने वाली रिद्धिमा के बारे में…

भविष्य ही नहीं होगा तो विकास का हम क्या करेंगे : यूएन में रिद्धिमा को जो गुस्सा दिखा है, उसका मूल 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा है। भयानक बाढ़ में कई लोगों की जानें चली गईं थी। तभी से उसके मन में रह-रहकर सवाल उठते थे। 2017 में रिद्धिमा ने अभिभावकों की मदद से केंद्र पर जलवायु परिवर्तन और संकट से उबरने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए एनजीटी में अर्जी दी थी। इसमें कहा गया था कि भारत प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन से निपटने में सबसे कमजोर देशों में से एक है।

रिद्धिमा ने बताया कि न्यूयॉर्क में कई लोगों ने उससे कहा कि तुम अभी बहुत छोटी हो, पर रिद्धिमा का जवाब होता कि बाकी देशों के बच्चे भी ऐसा कर रहे हैं। रिद्धिमा के मुताबिक सरकार कहती है कि उन्होंने गंगा को साफ किया है, पर यह सच नहीं है।

हम गंगा को मां कहते हैं, फिर उसे प्रदूषित करते हैं।गंगा किनारे मूर्तियां, कपड़े और प्लास्टिक की थैलियां मिलती हैं। रिद्धिमा कहती है कि हम इस मुद्दे को विश्व स्तर पर ले जाएंगे. मुझे लगता है कि विश्व नेता हमारी अनदेखी नहीं कर पाएंगे। मुझे नहीं लगता कि हमारी सरकार पेरिस समझौते की जिम्मेदारियां निभा रही है। ‘मुझे  बहुत गुस्सा आता है, उन्हें सिर्फ विकास पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, अगर हमारे पास भविष्य ही नहीं होगा तो फिर इस विकास का हम क्या करेंगे।