थाईलेण्ड के युवाओं की पहल पर बन रहा नैत्रहीनों का मददगार उपकरण 


जयपुर। थाईलेण्ड के दो युवा अपने दो भारतीय दोस्तों के साथ एक ऎसा उपकरण तैयार कर रहे हैं जो नैत्रहीनों को बिना छड़ी या किसी अन्य की मदद से ट्रेफिक भरी सड़क पर भी आम इंसानों की भांति चल सकेंगे। डिजिफेस्ट में बैंगलोर की क्राईस्ट यूनिवर्सिटी में कम्प्यूटर विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे थाईलेण्ड निवासी कोराकोट ल्यूचेनफोनथ्रा और पीलाफोन तथा सूरत के पार्थ शाह व दिल्ली की चार्वी द्वारा तैयार किया जा रहा यह उपकरण सेंसर पर आधारित है और इसे नैत्रहीन व्यक्ति अपने कपड़ों पर लगाकर आम रास्तों पर चल सकते हैं।
ल्यूचेनफोनथ्रा बताते हैं कि इसमें दो प्रकार के सेंसर लगे हुए हैं जो नैत्रहीन के सामने वाली दिशा के साथ-साथ जमीन पर गड्डों व अन्य बाधाओं के बारे में जानकारी देता है। वह बताते हैं कि यह उपकरण कैमेरों के साथ दो हजार रुपये तथा बिना कैमेरों के साथ पांच सौ रुपयों में तैयार हो सकता है। कैमेरों के साथ इस उपकरण की मदद से नैत्रहीन द्वारा तय की जाने वाली यात्रा की संपूर्ण रिकार्डिंग की जा सकती है जिसे कहीं से भी कोई व्यक्ति ट्रेक कर सकता है। वे कहते हैं कि हमारा मकसद पीड़ित मानवता की सेवा करना है और हम इस उपकरण से किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ कमाने के ईच्छुक नहीं हैं, हम तो हमारी इस तकनीक को नैत्रहीनों की सेवा के लिए दान देने की मंशा रखते हैं।