

शनिदेव को क्रोध बहुत आता है। शास्त्रों के अनुसार शनिदेव ने अपने गुस्से के कारण कई राक्षसों को नष्ट कर दिया था। इतनी शक्तियां शनिदेव को ब्रह्मा, विष्णु और शिव से प्राप्त हुई थी। शनिदेव को क्रोधित स्वभाव और गलती की सजा देने वाला देवता माना जाता है। वहीं अगर कोई भाग्य संवार सकता है तो वो भी शनिदेव ही हैं अगर किसी पर शनिदेव अपनी कृपा कर दें तो उसके वारे-न्यारे हो जाते हैं। उसका घर धन-धान्य से भर जाता है।
शनिवार के दिन सुबह उठकर अपने शरीर पर हल्का सरसों का तेल लगाएं। इसके बाद काले तिल के बीज और सुगन्घित फूलों से मिश्रित शुद्ध पानी से स्नान करें।
शनिवार के दिन शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनि देव को तेल चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें।
नमस्ते कोणसंस्थाय पिडगलाय नमोस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु तेभ् नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो।।
नमस्ते यंमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुतेभ् प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च।।
शनि देव को शांत रखने के लिए शनिवार को उपवास रखें। इस दिन केवल एक बार भोजन करना चाहिए जिसमें दूध, फल और जूस का सेवन करें।
शनिवार को ब्राह्मण को काला कंबल, कपड़ा या लोहा दान करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा दृष्टि हमेशा आप पर बनाए रखते हैं।