बीजिंग,चीन: दुनिया के ज्यादातर दफ्तरों में जब कर्मचारी यह सुनते हैं कि “आज बॉस नहीं आए”, तो माहौल हल्का हो जाता है, लेकिन चीन में हालात बिल्कुल उलट हैं। वहां कंपनियों में यह वाक्य सुनते ही कर्मचारी दहशत में आ जाते हैं, क्योंकि कई बार इसका मतलब होता है — बॉस अचानक गायब हो गए हैं।
दरअसल, चीन में बीते कुछ वर्षों से कारोबारी, निवेशक और अधिकारी बिना किसी पूर्व सूचना के रहस्यमयी तरीके से लिउझी (Liuzhi) नामक हिरासत प्रणाली के तहत उठाए जा रहे हैं। यह कोई सामान्य न्यायिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 2018 में शुरू की गई भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का हिस्सा है।
लिउझी क्या है और कैसे काम करती है
लिउझी को चीन की नेशनल सुपरविजन कमीशन संचालित करती है। शुरुआत में यह केवल सरकारी अधिकारियों और कम्युनिस्ट पार्टी नेताओं पर केंद्रित थी, लेकिन अब इसका दायरा तेज़ी से बढ़ा है।
आज इसके निशाने पर देश के धनी उद्योगपति, वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ हैं।
लिउझी के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना अदालत की अनुमति के हिरासत में लिया जा सकता है। हिरासत के बाद व्यक्ति कानूनी और पारिवारिक संपर्कों से पूरी तरह कट जाता है।
उसे ऐसे कमरे में रखा जाता है जहां न खिड़की होती है, न अंधेरा। 24 घंटे रोशनी और कैमरों की निगरानी रहती है — यहां तक कि शौचालय जाने तक पर भी नजर रखी जाती है।
आठ महीने या अनंत हिरासत
लिउझी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति को आठ महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है।
लेकिन अगर एजेंसी को उस व्यक्ति पर अभी भी शक है, तो हिरासत की अवधि अनिश्चित काल तक बढ़ाई जा सकती है।
यू फाक्सिन का मामला
दि इकॉनॉमिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में चीन के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और सेमीकंडक्टर विशेषज्ञ यू फाक्सिन को भी लिउझी ने हिरासत में लिया।
22 सितंबर को उनकी कंपनी ग्रेट माइक्रोवेव टेक्नोलॉजी ने सार्वजनिक रूप से यह जानकारी दी।
यू फाक्सिन चीन की रक्षा तकनीक में एक बड़ा नाम माने जाते थे, इसलिए उनका गायब होना पूरे तकनीकी जगत के लिए चेतावनी बन गया है।
कंपनियों के प्रमुखों का लापता होना
पिछले साल चीन की 39 सूचीबद्ध कंपनियों के प्रमुखों को हिरासत में लिया गया या नजरबंद किया गया।
अनलिस्टेड कंपनियों की स्थिति और गंभीर है, क्योंकि उन्हें अपने निवेशकों को ऐसी जानकारी देने की बाध्यता नहीं होती।
पार्टी के अनुशासन जांच आयोग (CCDI) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में 38,000 से ज्यादा उद्योगपति, वैज्ञानिक, प्रॉपर्टी डेवलपर और टेक्नोलॉजी जगत के लोग गिरफ्तार हुए। यह संख्या 2023 की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक है। अनुमान है कि इस साल 10 लाख से अधिक मामलों की जांच चल रही है।
किन पर गिर रही है गाज
लिउझी की कार्रवाई खास तौर पर कंप्यूटर हार्डवेयर, ग्रीन टेक्नोलॉजी और रक्षा उद्योग जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है, जो स्थानीय सरकारों से जुड़े हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक, कई मामलों में इसे “डीप सी फिशिंग” कहा जा रहा है — यानी किसी छोटे कारोबारी पर दबाव डालकर किसी बड़े उद्योगपति या निवेशक का नाम निकलवाना और फिर उसकी संपत्ति जब्त करना।
नया खतरा: नेशनल क्रेडिट ब्लैकलिस्ट
लिउझी के अलावा चीन ने एक और कठोर व्यवस्था लागू की है — **नेशनल क्रेडिट ब्लैकलिस्ट।**
पहले इसमें सिर्फ कर्ज न चुकाने वालों के नाम दर्ज किए जाते थे, लेकिन अब कई शीर्ष उद्यमियों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है।
इस सूची में आने का मतलब है —
हवाई यात्रा पर रोक
तेज रफ्तार ट्रेनों में सफर पर पाबंदी
लग्जरी होटलों में ठहरने की मनाही
बच्चों को महंगे स्कूलों में दाखिला नहीं
2024 के अंत तक दो लाख से अधिक लोगों के नाम इस सूची में जोड़े जा चुके हैं, जबकि 2019 में यह संख्या मात्र 17,000 थी।
अमीरों की आत्महत्याएं बढ़ीं
अप्रैल से जुलाई 2024 के बीच कम से कम पांच प्रमुख कारोबारी आत्महत्या कर चुके हैं।
इनमें सबसे चर्चित मामला वांग लिनपेंग का है — जो हुबेई प्रांत की मशहूर डिपार्टमेंट स्टोर चेन के संस्थापक और चीन के शीर्ष अमीरों में से एक थे।
अप्रैल में उन्हें लिउझी हिरासत में लिया गया था और जुलाई में रिहा किया गया, लेकिन लगातार निगरानी के बीच उन्होंने आत्महत्या कर ली।
निष्कर्ष
आज चीन में हालात ऐसे हैं कि जहां आम कर्मचारी अपने बॉस की गैरमौजूदगी पर राहत महसूस करते हैं, वहीं वहां के कर्मचारी डर से कांप उठते हैं।
लिउझी अब सिर्फ भ्रष्टाचार विरोधी औजार नहीं रही, बल्कि एक **ऐसा साया बन गई है जो चीन के अमीरों और नवाचार जगत पर मंडरा रहा है।
कारोबारी अब जानते हैं कि अगर वे असफल हुए — तो सिर्फ उनका बिज़नेस नहीं, उनकी आज़ादी और पहचान** भी खतरे में पड़ सकती है।
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क्या आप चाहेंगे कि मैं इस रिपोर्ट को “अंतरराष्ट्रीय विश्लेषण” सेक्शन के लिए अख़बार या डिजिटल पोर्टल फॉर्मेट (जैसे टाइम्स ऑफ इंडिया/बीबीसी शैली में हेडलाइन, डेटलाइन और सेक्शन टैग सहित) में तैयार कर दूं?

