

व्रत की अगर बात करें, तो हिन्दू धर्म में इसकी अधिक मान्यता देखने को मिलती है. कुछ लोग हफ्तेमें दिन के अनुसार व्रत रखते हैं, तो कुछ लोग किसी खास त्योहार या फिर मौकों पर. लेकिन आखिर व्रत रखा ही क्यों जाता है? आखिर इससे होता क्या है? कुछ ऐसे ही सवाल हो सकता है कि आपके भी मन में आते हों. अगर ऐसा है तो यहां पर आज हम कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब लेकर आये हैं, जिसे जानकर आपको भी यह पता चल जाएगा कि मानव ज़िंदगी में व्रत क्यों महत्वपूर्ण होता है व इसके क्या फायदे होते है.
शुरुआत हम धार्मिक उद्देश्य से व्रत रखने से करते हैं, जिसके अनुसार संकल्पपूर्वक किए गए कर्म को व्रत कहते हैं. अर्थातजब आप किसी चेतना एवं ख़्वाहिश की पूर्ति के लिए भगवान से एक वरदान चाहते हैं व इसके बदले में व्रत को अपनी तपस्या का माध्यम बनाते हैं, तभी यह कर्म किया जाता है . मनुष्य किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दिनभर के लिए अनाज या जल का त्याग करते हैं, वे भोजन का एक दाना भी ग्रहण नहीं करते . उनके इसी त्याग को मान्यतानुसार व्रत का नाम दिया गया है . मनुष्य के नज़रिये से व्रत धर्म का साधन माना गया है . लेकिन ऐसा महत्वपूर्ण नहीं कि व्रत के लिए पूरे दिन के लिए अनाज एवं जल का त्याग किया जाए .
धार्मिक उद्देश्य के अतिरिक्त ऐसे कई चिकित्सकीय कारण भी हैं जो व्रत करने को लाभकारी मानते हैं . विशेषज्ञों का मानना है कि आदमी के बॉडी में धीरे-धीरे कई प्रकार के जहरीले पदार्थ इकट्ठे होते रहते हैं, जो कि आगे चलकर रोगों का कारण बनते हैं . लेकिन उपवास धारण करने से मन तथा बॉडी का शोधन हो जाता है जिसके बाद सभी विषैले, विजातीय तत्व बाहर निकल जाते हैं . अंत में आदमी को एक निरोग बॉडी प्राप्त होता है .