मां वैष्णों की इस गुफा में कोई भी व्यक्ति केवल एक बार ही जा सकता है!


दुनिया में हमारे भारत देश को धार्मिक स्थलों के रूप में जाना जाता हैं. हमारे भारत देश में हर कदम पर आपको मंदिर देखने को मिल जाएंगे परंतु कुछ खास मंदिरो में सबसे पवित्र तीर्थ स्थल मां वैष्णो देवी के मंदिर को माना जाता है. यह मंदिर भारत देश के हृदय कहे जाने वाले राज्य जम्मू के पास स्थित है, इस मंदिर में मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और महाकाली तीन भव्य पिंडियों के रूप में देवी मां विराजमान है.

त्रिकुट पर्वत पर स्थित मां वैष्णो का यह दरबार समुद्र तल से लगभग 4800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वैष्णो मां के इस मंदिर में एक पुरानी गुफा बनी हुई है जो कि काफी तंग है. हम आपको बता दे की गुफा के शुरुआत में 2 गज़ तक लेट कर या काफी झुक कर आगे बढ़ना पड़ता है, इस गुफा की लंबाई लगभग 20 गज हैं. इस गुफा की एक और खासियत है की गुफा के अंदर टखनों की ऊंचाई तक शुद्ध जल प्रवाहित होता है जिसे चरण गंगा के नाम से जाना जाता है.

क्या है गुफा का रहस्य?

हमारे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी इस त्रिकुट पर्वत का वर्णन किया गया है, मान्यता है कि मां पार्वती के आशीष का तेज इस गुफा पर पड़ता है जिसकी अराधना में 33 करोड़ देवता सदा लगे रहते हैं. कुछ समय पहले यह गुफा काफी सकरी थी जिसकी वजह दर्शनार्थियों को आने जाने में काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ता था.

इसी बात को ध्यान में रखते हुए 1977 में एक नई गुफा बनवाई गयी. जिसमें से एक गुफा में लोग मंदिर के लिए प्रवेश करते हैं और दूसरी गुफा से बाहर निकल जाते हैं. मान्यता है की इस गुफा के दर्शन कम ही लोग कर पाते हैं और मां वैष्णो देवी का दर्शन बस किस्मत वाले ही कर पाते हैं.

भक्त लोग किसी भी मौसम की परवाह नहीं करते

मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए भक्त लोग किसी भी मौसम की परवाह नहीं करते. चाहे वह कड़ाके की ठंड हो या उमस भरी गरमी. मां वैष्णो देवी की गुफा में भैरव का शरीर रखा गया है. मां वैष्णो देवी ने भैरव को त्रिशूल से मारा था और उसका सिर उड़ कर भैरव घाटी में चला गया था तभी से वह शरीर वहीं मौजूद है.

इस पवित्र गुफा में एक और चमत्कार देखने को मिलता है इस गुफा से पवित्र गंगाजल निकलता रहता है. माना जाता हैं यहां कई प्रकार के चमत्कार भी देखने को मिलते हैं. आज हम आपको मां वैष्णो की गुफा के बारे में कुछ ऐसे रास्तों के बारे में आपको बताएंगे जिन्हें जानकर आपकी नींद उड़ जाएगी.

इस गुफा को गर्भ गुफा के नाम से भी जानी जाती है क्योंकि मान्यता है कि मां वैष्णो ने 9 महीने इस गुफा में ऐसे रही जैसे मानो कोई शिशु अपने मां के घर में रहा हो. इसके अलावा इस गुफा की एक और मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति इस गुफा में केवल एक बार ही जा सकता है क्योंकि यदि कोई शिशु अपने मां के गर्भ से बाहर निकल जाता है तो वह दोबारा गर्भ में नहीं जा सकता हैं.

उसी प्रकार इस गुफा से कोई एक बार निकल जाता हैं तो वह दोबारा उस गुफा में नहीं जा सकता हैं. जो व्यक्ति इस गर्भ गुफा के अंदर ठहर जाता है वह तमाम जिंदगी सुखी जीवन व्यतीत करता है, अर्थात मानो उसका मनुष्य का जीवन सफल हो गया.