भारत अब सीधे रूस से जुड़ेगा


चाबहार पोर्ट के रास्ते पाकिस्तान को किनारे लगाने के बाद अब भारत चीन को पटखनी देने की तैयारी में है। भारत ने चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट का जवाब देने की तैयारी कर ली है। भारत इंटरनेशल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को तेजी से पूरा करने के लिए जुट गया है। गौरतलब है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच चाबहर पोर्ट के पहले फेज की शुरुआत रविवार को हो गई थी। अब नजरें इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के प्रोजेक्ट पर हैं। इसकी शुरुआत साल 2000 में भारत, ईरान और रूस ने की थी, इसके साथ ही इस योजना का एक ड्राई रन साल 2014 में हो चुका है। हालांकि उसके बाद से इस योजना का दूसरा ड्राई रन टल रहा है। सूत्रों के अनुसार इसका दूसरा ड्राई रान अगले साल जनवरी में हो सकता है।

भारत, ईरान और रूस ने सितंबर 2000 में आईएनएसटीसी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जो ईरान और सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से कैस्पियन समुद्र तक हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को जोड़ने वाला सबसे छोटा मल्टी-मॉडल परिवहन मार्ग प्रदान करने के लिए एक गलियारे का निर्माण करने के लिए समझौता किया था। सेंट पीटर्सबर्ग से, उत्तरी यूरोप रूसी संघ के माध्यम से आसान पहुं है। गलियारे की अनुमानित क्षमता प्रति वर्ष 20-30 लाख टन माल है।

आईएनएसटीसी न केवल भारत से रूस और यूरोप से ईरान के माध्यम से माल के स्थानांतरण के लिए किए गए खर्चों और समय पर कटौती में मदद करेगा, बल्कि यूरेशियन क्षेत्र के देशों के लिए एक वैकल्पिक कनेक्टिविटी पहल भी प्रदान करेगा। चाबहार पोर्ट के बाद संसाधन संपन्न अचल मध्य एशिया और उसके बाजार तक पहुंचने के बाद यह भारत का दूसरा गलियारा होगा।