ईरान परमाणु डील रद्द होना भारत के लिए झटका


ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा के बाद वैश्विक स्तर पर राष्ट्र प्रमुखों ने चिंता जाहिर की है. इसी डील के जरिए वैश्विक स्तर पर ईरान के भारत सहित अन्य देशों के साथ रिश्ते सामान्य हुए थे. इस बीच भारत और ईरान के संबंध प्रगाढ़ हुए हैं, लेकिन एक बार फिर अमेरिका, ईरान पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है. जाहिर है कि भारत के लिए स्थिति बहुत उलझाऊ हो गई है, इसका असर कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर होने वाला है. इनमें चाबहार पोर्ट सबसे अहम है.

भारत के द्विपक्षीय संबंध ईरान के साथ बहुत मजबूत रहे हैं और हालिया समय में दोनों देश चाबहार पोर्ट पर मिलकर काम कर रहे हैं. भारत ने चाबहार पोर्ट में 500 मिलियन डॉलर का निवेश किया है, जोकि रणनीतिक रूप से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हालांकि चाबहार पोर्ट के विकास का काम पहले ही बहुत देरी से चल रहा है और अगर भारत चाबहार पोर्ट में आगे निवेश करता है, भारत के खिलाफ अमेरिका के लिए यह अहम मुद्दा बन सकता है.

ओमान की खाड़ी में स्थित यह पोर्ट पाकिस्तान में चीन के ग्वादर पोर्ट से सिर्फ 85 किलोमीटर की दूरी पर है. इस पोर्ट के जरिए भारत पाकिस्तान को बाईपास करते हुए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक पहुंच सकता है.

चाबहार पोर्ट के जरिए भारत से सामान के आयात-निर्यात में लगने वाले समय और लागत में एक तिहाई की कमी आएगी. इस पोर्ट के पूरी तरह विकसित होने से भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच व्यापार को जबरदस्त बढ़ावा मिल सकता है, क्योंकि पाकिस्तान, नई दिल्ली को दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए रास्ता देने से इनकार करता रहा है.

चाबहार पोर्ट के पहले चरण का उद्घाटन पिछले साल दिसंबर में हुआ था. फरवरी में, भारत और ईरान ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत 18 महीनों के लिए दिल्ली को पोर्ट के संचालन का अधिकार मिला था.