

अक्सर देखा जाता है कि जब कभी भी कोई किसी शुभ काम ने किसी को तिलक लगाता है तो उसके बाद कुछ दाने चावल के भी लगाए जाते हैं। ऐसा क्यों किया जाता है, क्या आप इसके बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तो आज हम आपको इसके महत्व को समझाते हैं।
आपने कई बार देखा होगा जब कभी भी आपके घर पर पूजा होती है, तब आपके माथे पर पहले कुमकुम से तिलक किया जाता है, इसके बाद कुछ दाने चावल के उस तिलक के ऊपर लगाए जाते हैं। दरअसल अगर इसको वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ऐसा करने से दिमाग में शाति एंव शीतलता बनी रहती है। यहां चावल लगाने का कारण यह है कि चावल को शुद्धता का प्रतीक माना गया है।
वहीं शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानी हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कच्चा चावल सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। पूजा में भी कुमकुम के तिलक के ऊपर चावल के दाने इसलिए लगाए जाते हैं, ताकि हमारे आसपास जो भी नकारात्मक ऊर्जा उपस्थित हो, वह सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाए।
हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाने का विशेष महत्व है, पूजा-पाठ, त्योहार यहां तक की शादी और जन्मदिवस जैसे आयोजन में भी तिलक लगाया जाता है। शास्त्रों में श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, विल्वपत्र, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है। वैसे आपने देखा होगा कि कुमकुम के तिलक के साथ चावल का प्रयोग भी किया जाता है पर क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानि हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है। ऐसे में कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। इससे हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित होती है।