क्रियायोग, ध्यान, धारणा भारत की शाश्वत और सनातन परंपरा का हिस्सा हैं -विधायक


जयपुर। किशनपोल विधायक श्री मोहनलाल गुप्ता ने कहा कि क्रियायोग, योग, धारणा, समाधि, आसन और राजयोग भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग हैं। यदि हम इनको हम अपने जीवन में उतार लें तो तन-मन के साथ अंर्तमन भी शुद्ध हो जाएगा। शुद्ध अंर्तमन ही प्रभु का सान्निध्य पाने का एक मात्र रास्ता है।
श्री गुप्ता रविवार को योगीराज श्यामाचरण मिशन द्वारा आयोजित क्रियायोग विषय पर विशेष सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्थान और संगठन समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं। उनके हर प्रयास का हर स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि योग जोड़ने का ही पर्याय है। योग से जुड़ने के बाद ही मनुष्य परमात्मा से जुड़ पाता है।
मिशन की संस्थापक कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती जयती कपूर ने क्रियायोग पर व्याख्यान देते हुए कहा कि  चंचल प्राण से स्थिर प्राण में जाना ही क्रिया योग है। इसके निरंतर अभ्यास से आहिस्ता-आहिस्ता प्राण शांत होता है और मानसिक शांति मिलती है। उन्होंने कहा कि इसके अभ्यास से न केवल शरीर की सभी तरह की व्याधियां दूर होती हैं बल्कि बौद्धिकता का विकास और दूरदर्शिता में भी बढ़ोतरी होती है।
श्रीमती जयती कपूर ने कहा कि पृथ्वी पर जन्म लेने वाला हर शिशु एक लाख से ज्यादा तरंगों के साथ धरती पर अवतरित होता है। माता के गर्भ में शिशु सुख (सु-सुदंर और ख-ब्रह्म) में रहता है लेकिन भूमिष्ट होते ही दुख में पतित हो जाता है।  उन्होंने कहा कि क्रिया योग ही प्रवृति से निवृति की ओर ले जाने का काम करता है। यही नहीं क्रिया योग के अभ्यास कठिनाइयों में विजय पाने की शक्ति भी देता है।
उन्होंने कहा कि क्रियायोग विशेष सत्र का उद्देश्य आम जन को क्रियायोग के शाश्वत आध्यात्मिक विज्ञान से अवगत कराना है। उन्होंने बताया कि योगीराज श्यामाचरण लाहिडी ने क्रियायोग को पुर्नः स्थापित किया था और यह आत्मबोध और मोक्ष का एक वैज्ञानिक और तर्कसंगत मार्ग है। उन्होंने कहा कि क्रियायोग पूर्णतः वही क्रियायोग है जिसका वर्णन पतंजलि योगशास्त्र में मिलता है एवं यह वही राजयोग है जिसका उल्लेख भगवान श्री कृष्ण द्वारा भगवत् गीता में किया गया है।
इस अवसर पर समाजसेवक श्री रामप्रकाश भारद्वाज, संस्था के निर्वाचित गुरु श्री धनंजय कर्माकर, संस्थापक सदस्य श्री राजेश अय्यर, श्री केयूर मजूमदार सहित श्रोतागण उपस्थित रहे।