

भारतीय ज्योतिष के नौ ग्रहों में से एक प्रमुख ग्रह है मंगल ग्रह। ये ग्रह एक राशि में 45 दिन तक रहता है। जैसे शनि 30 महीने, गुरू 13 महीने और राहु केतु एक राशि में 18 महीने तक विचरण करते हैं। इसके विपरीत जब मंगल अपनी 45 दिनों की निश्चित अवधि से अधिक समय तक एक राशि में रहता है जैसे 90 या 180 दिन तक तो इस को कुज स्तंभ कहते हैं। ये मंगल का एक प्रकार का दोष माना जाता है। इस बार ऐसा ही हुआ है बीती 3 मई को मंगल धनु से निकल कर मकर राशि में प्रवेश कर चुके हैं और अब 7 नवंबर 2018 तक इसी राशि में रहेंगे अर्थात कुज सतंभ दोष का प्रारंभ हो गया है। इसके व्यापक राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक प्रभाव होना स्वाभाविक हैं।
अग्निकांड की संभावना
वैसे तो मंगल को स्वभाव से उग्र, झगड़ालू, और अति उत्साही ग्रह माना ही जाता है। साथ ही कुज स्तंभ दोष उसकी तीव्रता को और बढ़ा देता है। इस अवधि में अपेक्षा की जाती है चाहे जन सामान्य हो या राजनेता अथवा अन्य क्षेत्रों की हस्तियां अपनी जुबान पर काबू रखें और अर्नगल टिप्पणियों से बचें वरना विवाद की स्थिति आसानी से पैदा हो सकती है। कुज स्तंभ में अक्सर अग्निकांडों का प्रभाव देखा जाता है। हाल में हुई कुछ घटनाओं पर नजर डालें तो ये कहीं ना कहीं प्रमाणित भी हो रहा है। जैसे पिछले दिनों मुज्जफरपुर से दिल्ली आ रही बस में आग लगना, एक मकान में आग लगने से बच्चों की मृत्यु और हवाई में ज्वालामुखी का धधकना आदि ऐसे ही संकेत हैं।
अतीत में भी कुज स्तंभ के प्रभाव देखे गए हैं
1900 से लेकर 2000 तक 28 बार मंगल ग्रह का कुज स्तंभ दोष देखा जा चुका है और इस अवधि में कई बड़ी दुर्घटनायें भी देखी गईं। इसीलिए मंगल की उग्रता को शांत रखने के लिए संयत भाषा का प्रयोग करें। इस काल में प्रज्जवलित अग्नि आसानी से बुझती नहीं है अत: सावधानी बरतें। इस काल में प्राकृतिक आपदाओं और अन्य दुर्घटनाओं का भी खतरा बढ़ जाता है।