

माता पार्वती ने बड़े ही तप करने के बाद भोलेनाथ हो पति रूप में प्राप्त किया तो आखिर भोलेनाथ से ऐसी क्या भूल हुई जो पार्वती ने भोलेनाथ को तो श्राप दिया ही इसके साथ ही उन्होंने भगवान विष्णु, नादर और रावण को भी श्राप दे डाला। आइए आपको बताते हैं इस रोचक कथा के बारे में ……
वामनपुराण के अनुसार, एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती के साथ जुआ खेलने की इच्छा प्रकट की। भोलेनाथ की इच्छा का सम्मान करते हुए माता पार्वती ने उनके साथ खेलना शुरू किया। इस खेल में भोलेनाथ अपना सब कुछ हार गए और पार्वती से नाराज होकर पत्तों के वस्त्र पहनकर गंगा तट पर चले गए। जब कार्तिकेय को इस बारे में पता चला तो उन्होंने माता पार्वती से खेलने को कहा और इस बार माता पार्वती हार गईं और कार्तिकेय भोलेनाथ का सारा सामान लेकर वापस चले गए। इसके बाद पार्वती के कहने पर गणेश ने कार्तिकेय के साथ खेलकर सारा सामान वापस ले लिया।
पार्वती के कहने पर वे शिवजी को लेने के लिए गंगा तट पर गए पहले तो शिवजी के भक्त रावण ने बिलाव बनकर गणेश के वाहन मूषक को डराकर वहां से भगा दिया। इसके बाद शिवजी ने एक ही शर्त पर आना स्वीकार किया, वह शर्त थी की माता पार्वती एक नए पासे से खेलें। माता पार्वती ने शर्त स्वीकार की और खेलना शुरू किया। इस बार खेल में भोलेनाथ बार-बार जीतने लगे, ये देखकर गणेश जी को शक हुआ और उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से पता लगा लिया कि नया पासा कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु हैं और उन्होंन ही पासे का रूप धारण किया है।
इसके साथ ही ये बात नारद जी जानते हैं, उन्होंने ये सारी बात माता पार्वती को बताई। जैसे ही माता पार्वती को भोलेनाथ द्वारा किए गए इस छल के बारे में पता चला उन्होंन शिवजी को श्राप दे दिया कि आपके सिर पर हमेशा गंगा का बोझ रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने नारद को एक जगह पर स्थिर न रहने का श्राप दिया। भगवान विष्णु को माता पार्वती ने श्राप दिया कि यही रावण तुम्हारा शत्रु होगा तथा रावण को श्राप दिया कि विष्णु जब रामावतार में पृथ्वी पर प्रकट होंगे तब वही तुम्हारा विनाश करेंगे।