

क्रय विक्रय समिति सूरतगढ का मामला
जोधपुर। माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डॉ पुष्पेन्द्रसिंह भाटी ने क्रय विक्रय सहकारी समिति लि. सूरतगढ में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत विवेक कुमार देरासरी की रिट याचिका को स्वीकार करते हुए सहकारी समिति द्वारा उसे पद से हटाने के आदेश को निरस्त किया।
क्रय विक्रय सहकारी समिति सूरतगढ में वर्ष 2009 में प्रार्थी विवेक कुमार देरासरी की नियुक्ति कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर हुई थी तथा वर्ष 2009 से प्रार्थी नियमित रूप से कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्य कर रहा था तथा विभाग द्वारा दिनाक 4.5.2017 को प्रार्थी को इस कारण से हटा दिया गया कि उसकी नियुक्ति किसी भी गैर सरकारी संगठन ;एन.जी.ओ.द्ध द्वारा नही की गयी है इसलिये उसे सेवा से पृथक किया जाता है ।
विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर प्रार्थी ने अपने अधिवक्ता श्री प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका प्रस्तुत करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया कि प्रार्थी की नियुक्ति विभाग द्वारा सहकारी समिति द्वारा प्रस्ताव पास करने के उपरांत हुई है तथा विभाग द्वारा प्रस्ताव पास करके उसके वेतन वृद्वि भी की गयी थी तथा विभाग द्वारा इस आधार पर प्रार्थी को सेवा पृथक करने की उसकी नियुक्ति किसी एन.जी.ओ के माध्यम से नही हुई है इसलिये उसे पृथक किया जाता है यह पूर्णतया विधि विरूद्व एंव अन्याय पूर्ण है ।
प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्काे से सहमत होते हुए माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने प्रार्थी की रिट याचिका को स्वीकार करते हुए सहकारी संस्था द्वारा पारित पृथककरण आदेश दिनांक 4.5.2017 को अपास्त किया।