

बैंकिंग सेक्टर के सबसे बड़े घोटाले में ED नीरव मोदी पर शिकंजा कसने की तैयारी में है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मामले की सुनवाई कर रहे मुंबई की स्पेशल कोर्ट से पीएनबी घोटाले में आरोपी नीरव मोदी की 7000 करोड़ रूपये की संपत्ति तत्काल जब्त करने की इजाजत मांगी है. पंजाब नेशनल बैंक में 13,400 करोड़ रुपये से ज्यादा के वित्तीय घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय बड़ी कार्यवाई करने जा रही है.
कोर्ट की मंजूरी मिलते ही संपत्ति सीज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. ED ने यह मांग हाल ही बने आर्थिक अपराध अध्यादेश – 2018 के अंतर्गत की है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने आर्थिक अपराध को अंजाम देकर कर देश छोड़कर भागने वाले अपराधियों की संपत्ति को जब्त करने से जुड़े आर्थिक अपराध अध्यादेश 2018 को मंजूरी दी है.
भगोड़ा घोषित करने की मांग
पीएनबी फ्रॉड केस में ED ने प्रिवेंशन मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के अंतर्गत पिछले हफ्ते पहला आरोप-पत्र (चार्जशीट) दाखिल किया था. ईडी अब कोर्ट में अपनी चार्जशीट के आधार पर नीरव मोदी को भगोड़ा घोषित करने की मांग करेगी.
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक कोर्ट 12000 पेज की चार्जशीट पर सुनवाई करेगा जबकि इस मामले को आर्थिक अपराध अध्यादेश में लाने की मांग करेगा. अगर कोर्ट ED की इस मांग को मान लेती है तो नीरव मोदी की देश-विदेश में मौजूद संपत्तियों जल्द से जल्द जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
पीएनबी घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी (गीतांजलि जेम्स के मालिक) मुख्य आरोपी हैं. सीबीआई ने भी कुछ दिनों पहले पीएनबी घोटाले में पहली चार्जशीट दाखिल की थी. सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में नीरव मोदी और उसकी कंपनियों के साथ-साथ पीएनबी के वरिष्ठ अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया था.
आरोपपत्र में पीएनबी की तत्कालीन एमडी और सीईओ उषा अनंतसुब्रमण्यन की भूमिका का विस्तार से व्याख्या किया गया है. वर्तमान में उषा इलाहाबाद बैंक की एमडी और सीईओ हैं. इस चार्जशीट में फिलहाल मेहुल चोकसी और उसकी कंपनियों को शामिल नहीं किया गया है.