

भगवान शिव अन्य देवताओं से बहुत भोले माने गये है. यह अपने भक्तों की थोड़ी सी ही प्रार्थना से प्रसन्न हो जाते हैं. हिन्दू धर्म में यही एक ऐेसे देवता हैं, जिनकी पूजा एक शिवलिंग के रूप में होती है.वैसे तो हिन्दू धर्म में किसी भी खण्डित मूर्ति की पूजा करना या फिर उसे घर में रखना अच्छा नहीं माना गया हैं, लेकिन वहीं अगर झारखंड के महादेवशाल धाम की बात की जाए, तो यहां पर एक ऐसा शिवलिंग हैं, जो पूर्ण रूप से खण्डित हैं व साथ ही इस शिवलिंग बड़ा ही खास महत्व है.लेकिन झारखंड के गोइलकेरा के बड़ैला गांव की कहानी अलग है. यहां पर महादेवशाल धाम नाम से एक शिव जी का मंदिर है. इस मंदिर में खंडित शिवलिंग की पूजा होती है . शिवलिंग का आधा हिस्साप कटा हुआ है, फिर भी लोग दूर-दूर से इस मंदिर में पूजा करने आते हैं .
यह कहानी है 19 वी शताब्दी के मध्य की है जब गोइलेकेरा के बड़ैला गाँव के पास बंगाल-नागपुर रेलवे द्वारा कलकत्ता से मुंबई के बीच रेलवे लाइन बिछाने का काम चल रहा था . इसके लिए जब मेहनतकश लोग वहां खुदाई कर रहे थे, तो उन्हें खुदाई करते हुए एक शिवलिंग दिखाई दिया . मजदूरों ने शिवलिंग देखते ही खुदाई रोक दी व आगे कार्य करने से मनाकर दिया . लेकिन वहां मौजूद ब्रिटिश इंजीनियर ‘रॉबर्ट हेनरी’ ने इस सब को बकवास बताते हुए फावड़ा उठाया शिवलिंग पर प्रहार कर दिया, जिससे की शिवलिंग दो टुकड़ो में बंट गया पर इसका परिणाम अच्छा नहीं हुआ व शाम को कार्य से लौटते वक़्त उस इंजीनियर की रास्ते में ही मौत हो गई .
इंजीनियर की मौत के बाद मजदूरों व ग्रामीणों में दहशत फैल गई . सभी को लगा कि उस शिवलिंग में कोई दिव्यशक्ित है . ऐसे में वहां पर रेलवे लाइन की खुदाई का जोरदार विरोध होने लगा . बाद में अंग्रेज अधिकारियों को लगा कि यह आस्था एवं विश्वास की बात है व ज़बरदस्ती करने के उलटे परिणाम हो सकते है, तो उन्होंने रेलवे लाइन के लिए शिवलिंग से दूर खुदाई करने का निर्णय किया . इसके कारण रेलवे लाइन की दिशा बदलनी पड़ी व दो सुरंगो का निर्माण करना पड़ा .