मिनटों में खत्म हुआ बरसों का विवाद


जयपुर। ‘‘राजस्व लोक अदालत अभियान – न्याय आपके द्वार‘‘ ग्रामीणों को लम्बे समय से चल रही समस्याओं की त्रासदी से मुक्ति दिलाने के साथ ही बिगड़े हुए रिश्तों में सुधार लाने और मिठास भरने की दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है।
राजसमन्द जिले में यह अभियान ग्रामीणों के लिए बहुआयामी लाभकारी और सुकून देने वाला सिद्ध हो रहा है। हाल ही राजसमन्द पंचायत समिति के अन्तर्गत फियावड़ी ग्राम पंचायत मुख्यालय पर अभियान के अन्तर्गत आयोजित शिविर में ऎसा ही एक मामला सामने आया जिसमें काश्तकारों के बीच चल रहा रास्ते का विवाद जिला कलक्टर आनंदी की समझाईश पर घण्टे भर में सुलट गया और इसके साथ ही अर्से से चल रही तनातनी और दुश्मनी भी हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गई।
जिला कलक्टर ने यों खत्म कराया विवाद
जिला कलक्टर आनंदी की कुछ मिनटों की समझाईश से उपखण्ड अधिकारी न्यायालय में अर्से से चल रहे विचाराधीन दो प्रकरणों का हाथों हाथ निस्तारण हो गया। ये प्रकरण राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 251 एवं विरासत के नामान्तरणकरण से संबंधित थे।
जिला कलक्टर ने पक्ष-विपक्ष एवं उनके अधिवक्ताओं को काफी समझाईश की। इस पर सभी पक्ष अच्छी तरह समझ गए।  आपसी सहमति हो जाने के बाद दोनों पक्षों के महिला-पुरुषों द्वारा खुशी जाहिर की और एक-दूसरे से गले मिलकर बरसों से चले आ रहे आपसी विवाद को खत्म कर दिया।
शिविर में पसर उठा उल्लास
सभी ने  खुशी जताते हुए यह प्रण लिया कि दोनों पक्ष आइन्दा अब किसी भी प्रकार का वाद नहीं रखेंगे और सभी लोग मिलजुलकर रहेंगे। इतना ही नहीं तो दोनों पक्षों ने इस वाद के कारण आपस में संघर्ष के जो फौजदारी मुकदमे भी लगा रखे थे, उन्हें  भी समाप्त करने का निर्णय लिया।
न केवल दोनों पक्षों बल्कि शिविर में उपस्थित ग्रामीणों ने भी इस मामले पर प्रसन्नता जाहिर की और इस तथ्य को स्वीकारा कि इस तरह के विवाद ही आगे चलकर सामाजिक एवं पारिवारिक विवादों को जन्म देते हैं। इसीलिए धारा 251 मात्र एक कानूनी धारा न होकर एक पारिवारिक, सामाजिक कल्याण एवं शांति का सशक्त माध्यम भी है।
इस पर पक्षकारों के साथ ही उपस्थित ग्रामीणों ने जिला कलक्टर के प्रयासों की खूब सराहना की। ग्राम पंचायत के सरपंच ने ग्राम पंचायत की ओर से जिला कलक्टर का स्वागत किया।
यह था मामला
काश्तकारों को हाथों हाथ राहत देने वाले इस तीन साल पुराने मामले के अनुसार फियावड़ी की श्रीमती डाली, शंभूलाल व डालू निवासी पदमपुरा द्वारा भंवरलाल, भारत एवं राहुल आदि के विरूद्ध सन् 2017 में वाद पेश किया।
इस वाद में प्रार्थी ने विपक्षीगण के विरुद्ध राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा-251 के अन्तर्गत अपनी भूमि में अन्य कोई रास्ता विद्यमान न होने के कारण प्रतिवादी की भूमि में से रास्ता निकलवाने के लिए अनुतोष स्वरूप राहत चाही।

शिविर में उपखण्ड अधिकारी राजेन्द्रप्रसाद अग्रवाल ने पूरा मामला देखा और दोनों पक्षों को सुनकर फैसला सुनाया एवं प्रार्थी व अप्रार्थी को अनुतोष दिया गया। इस दौरान प्रशिक्षु आरएएस श्री प्रशान्त शर्मा सहित राजस्व से संबंधित अधिकारी एवं कार्मिक उपस्थित थे।
शिविरों का पूरा-पूरा लाभ लें 
जिला कलक्टर आनन्दी ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए राजस्व लोक अदालत अभियान – न्याय आपके द्वार शिविरों का लाभ लेने का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने परिचितों, रिश्तेदारों और आस-पास के क्षेत्रों के सम्पर्कित ग्रामीणों को इन शिविरों के बारे में बताएं तथा लम्बित कामों के निस्तारण का फायदा उठाने को कहें।
यह है राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 251  
राजस्थान सरकार द्वारा काश्तकारों को रास्ते के अधिकार के लिए राजस्थान काश्तकारी अधिनियम में संशोधन कर नई धारा 251 का सृजन किया। इस धारा के अंर्तगत ऎसे काश्तकार जिनकी भूमि में जाने के लिए कोई भी विद्यमान रास्ता नहीं है तो वह उपखंड न्यायालय में रास्ता दिलवाने के लिए आवेदन कर सकता है ।
धारा 251 के अनुसार सिंचाई के लिए भूमिगत पाइपलाइन डालने, काश्तकार या काश्तकारों के समूह द्वारा नए रास्ते निकलवाने, पहले से विद्यमान रास्ते के विस्तार आदि के लिए यदि आपसी सहमति न बन पाए तो वे उपखंड न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं । नया रास्ता सृजन होने की स्थिति में वह भूमि राजकीय खाते (सिवाय चक) में दर्ज हो जाएगी और काश्तकारों का उस पर कोई अधिकार नहीं रहेगा।  नया रास्ता तभी सृजित किया जा सकेगा जब तक वह अति आवश्यक न हो एवं अधिकतम 30 फीट का ही हो । पाइपलाइन के संदर्भ में स्पष्ट किया गया है कि वह पाइपलाइन भूमि से कम से कम 3 फीट नीचे हो।