

उत्तर भारत के राज्यों में तूफान में 120 से ज्यादा लोगों की जान चली गई लेकिन अब भी इस खराब मौसम का प्रकोप टला नहीं है. उत्तराखंड में अभी मानसून आया भी नही हैं लेकिन अभी से बारिश और बादल फटने की घटनाएं होनी शुरू हो चुकी हैं. इससे अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं की आने वाले दिनों में पहाड़ पर कैसी आफत बरसने वाली है.
चमोली में अभी दो दिन पहले ही बादल फटने की घटना हुई जिसके बाद तमाम गाड़ियां दब गईं. घरों और दुकानों में पूरी तरह से मलबा घुस गया. केदारनाथ में भी यात्रा को लगभग 24 घंटे तक रोकना पड़ा था कि अब एक नई आफत फिर से उत्तराखंड पर बरसने को तैयार है.
इस विषय में जब उत्तराखंड के मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह से बात की गई तो उन्होंने भी बाकायदा चारधाम यात्रा पर गए सभी यात्रियों को ताकीद की है कि जैसे ही बिजली चमकने की घटना हो या बारिश शुरू हो तो तुरंत यात्रा रोक कर बचने के लिए किसी आश्रय में चले जाएं.
बिक्रम सिंह ने बताया कि पहाड़ पर जरा सी बारिश से नदियां-नाले उफान पर आ जाते हैं, मैदानी इलाकों और जिलों में भले ही बारिश कम है लेकिन हमारी तरफ से सभी पहाड़ी जिलों में लगातार अलर्ट जारी किया जा रहा है. साथ ही चेतावनी दी गयी है खासकर चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और कुमाऊं डिवीज़न में पिथौरागढ़ को अलर्ट पर रखा गया है.
साथ ही उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि आने वाली 8 मई को पूरे प्रदेश में जमकर एकसाथ भारी बारिश होगी. पहाड़ पर बादल फटना और नदी-नालों का उफान पर आना थोड़ी सी ही बारिश में हो जाता है, ऐसे में इससे बचने के लिए सतर्कता सबसे ज्यादा जरूरी है.