राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस पर आयोजित विशेष समारोह में शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण के मूल्यों का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष माननीय श्री वासुदेव देवनानी उपस्थित रहे। अपने संबोधन में उन्होंने शिक्षक दिवस को केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य के अटूट संबंध का प्रतीक बताया।

देवनानी ने कहा कि भारत की शिक्षा परंपरा सदियों से पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत रही है। उन्होंने तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों की चर्चा करते हुए बताया कि भारत में ज्ञान की परंपरा कितनी समृद्ध रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षक केवल 60 मिनट की कक्षा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे आजीवन मार्गदर्शक होते हैं।

शिक्षा व्यवस्था की मजबूती पर उन्होंने कहा कि किसी भी संस्था की प्रगति तीन मुख्य स्तंभों – सशक्त नेतृत्व, समर्पित टीम और गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक वातावरण – पर निर्भर करती है। उन्होंने शिक्षकों से छात्रों के साथ आत्मीय संबंध बनाने और संवाद बढ़ाने का आह्वान किया।

शोध कार्य समाजोपयोगी होंगे

अपने भाषण में उन्होंने इस बात पर बल दिया कि शोध कार्य केवल अकादमिक उद्देश्य तक सीमित न रहकर समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुँचाने वाले होने चाहिए। उन्होंने कहा, “यह नया भारत आत्मनिर्भर भारत है – हमें आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है।”

शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आह्वान

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में शिक्षकों की भूमिका अहम है। “हम जैसा ज्ञान देंगे, वैसा ही शिष्य बनेगा,” उन्होंने कहा। उन्होंने विश्वविद्यालय में चरित्र निर्माण आधारित शिक्षा देने की बात पर जोर दिया।

विशेष सम्मान और उपलब्धियाँ

समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आनंद भालेराव ने बताया कि राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय को अब तक तीन प्रमुख कीर्तिमान हासिल हुए हैं:

  1. NAAC द्वारा A++ ग्रेड (3.54 CGPA)

  2. UGC की Category-I मान्यता

  3. NIRF रैंकिंग में 89वां स्थान

उन्होंने कहा कि यह केवल संस्था की नहीं, बल्कि संपूर्ण शिक्षा जगत की उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय NEP 2020 के क्रियान्वयन में अग्रणी है और छात्रों ने Academic Bank of Credits में बड़ी संख्या में खाते खोले हैं।

शिक्षक उत्कृष्टता पुरस्कारों का वितरण

समारोह का मुख्य आकर्षण रहा तीसरे शिक्षक उत्कृष्टता पुरस्कार का वितरण। इस बार तीन शिक्षकों को निम्नलिखित क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया:

  • डॉ. सुनील कुमार (केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय): सामाजिक विज्ञान और सतत विकास में योगदान

  • डॉ. दीपक स्वामी (IIT जोधपुर): भूजल और पर्यावरणीय इंजीनियरिंग में कार्य

  • डॉ. आलोक सागर गौतम (गढ़वाल विश्वविद्यालय): वायुमंडलीय विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा में योगदान

इन शिक्षकों को शॉल, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न, श्रीमद्भगवद्गीता, भगवान गणेश की मूर्ति और ₹50,000 का चेक देकर सम्मानित किया गया।

अन्य कार्यक्रम और उद्घाटन

कार्यक्रम में प्रो. नीरज गुप्ता को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया, जो 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके अलावा तीन नए अकादमिक भवनों में छह एआई-सक्षम स्मार्ट सेमिनार कक्षों का उद्घाटन और तीन शॉर्ट फिल्मों का लोकार्पण भी किया गया।

समापन

समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय गीत और स्वागत गीत से हुई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा कौशिक और जनसंपर्क अधिकारी अनुराधा मित्तल ने किया, जबकि समापन कुलसचिव प्रो. अमरदीप शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।