तमिलनाडु के करूर जिले में अभिनेता से नेता बने थलपति विजयकी पार्टी TVK (तमिऴग विदुथलाई काच्ची) की रैली के दौरान हुई भयावह भगदड़ में 41 लोगों की मौत के बाद अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इस घटना की CBI जांच के आदेश देते हुए एक उच्चस्तरीय निगरानी समिति के गठन का भी निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि करूर हादसा केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि जवाबदेही तय करने का सवाल है”।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच अब केवल राज्य स्तर तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि CBI इस पूरी घटना के कारणों, लापरवाही और राजनीतिक प्रभाव की भी पड़ताल करेगी।

 मद्रास हाईकोर्ट पर भी सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट को भी फटकार लगाई। जस्टिस माहेश्वरी ने कहा — मेरे 15 साल के करियर में पहली बार देख रहा हूं कि जब कोई मामला पहले से डिवीजन बेंच में लंबित है, तब एकल पीठ ने उसमें हस्तक्षेप कर SIT जांच का आदेश कैसे दे दिया?”

कोर्ट ने साफ कहा कि न्यायिक अनुशासन का पालन करना आवश्यक है और हाईकोर्ट को यह ध्यान रखना चाहिए कि समान विषय पर दो अलग-अलग आदेशों से न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती है।

तमिलनाडु सरकार से कड़े सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए। अदालत ने पूछा —

जब 10 अक्टूबर को AIADMK को जगह की कमी बताकर रैली की अनुमति नहीं दी गई, तो फिर 27 अक्टूबर को TVK को उसी स्थान पर कैसे इजाजत दे दी गई?”

कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों के प्रति समान दृष्टिकोण रखना राज्य प्रशासन का दायित्व है और ऐसी घटनाएं जनता के विश्वास को कमजोर करती हैं।

 बनेगी 3 सदस्यीय निगरानी कमेटी

CBI जांच के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय निगरानी कमेटी बनाने का आदेश दिया है।

इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अजय रस्तोगी करेंगे।
इसके साथ ही तमिलनाडु कैडर के दो IGP रैंक के IPS अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल होंगे।

कमेटी का दायित्व होगा —

CBI जांच की प्रगति की निगरानी करना।
हर महीने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट देना।
यदि आवश्यकता हो, तो सीधे कोर्ट से संपर्क कर सुझाव या दिशा-निर्देश लेना।

कैसे हुई करूर में त्रासदी

27 अक्टूबर को विजय की पार्टी TVK ने करूर में एक बड़ी रैली आयोजित की थी। भीड़ अनुमान से कहीं ज्यादा पहुंची और मंच के पास अचानक भगदड़ मच गई।
भीड़ नियंत्रण के उचित इंतज़ाम न होने और निकासी मार्गों की कमी के कारण 41 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई दर्जन लोग घायल हुए।

राज्य सरकार ने प्रारंभिक जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) बनाया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला CBI के हवाले होगा।

 

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल करूर हादसे की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करेगा, बल्कि यह भी संदेश देता है कि राजनीतिक रैलियों में प्रशासनिक लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है।
अब देश की निगाहें CBI की जांच और न्यायालय की निगरानी में बनने वाली रिपोर्ट पर टिकी रहेंगी।