वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के तकनीकी प्रयोग से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता व विश्वसनीयता बढेगी -अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, अपराध


जयपुर। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, अपराध श्री पंकज कुमार सिंह ने कहा कि विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के तकनीकी प्रयोग से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता बढेगी तथा आम लोगों को न्याय तुरन्त मिल सकेगा।
श्री सिंह गुरूवार को राजस्थान पुलिस अकादमी में पुलिस अनुसधान एवं विकास ब्यूरो, नई दिल्ली एवं केन्द्रीय गुप्तचर प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के अनुश्रवण में आयोजित दो दिवसीय ‘‘न्यायालय तथा जेल के बीच विडियो कॉन्फ्रेंसिंग‘‘ के प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्बोधित कर रहे थे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, दमन दीव, दादर नगर हवेली के लगभग 80 न्यायिक, जेल, अभियोजन तथा पुलिस के अधिकारी भाग ले रहे हैं ।
श्री सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय के इस कदम को सराहनीय बताया और कहा कि इस प्रकार के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत उपयोगी हैं। आम लोगों एवं विभागों को इसका लाभ उठाना चाहिए।
रजिस्ट्रार सी0पी0सी0 श्री हेमन्त सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि जेल में बन्द खूंखार कैदियों तथा विदेशों में दूरस्थ गवाहों के लिए इस तरह की वीडियो कॉन्फ्रंसिंग बहुत उपयोगी होती है। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि विदेशों में स्थित गवाहों का साक्ष्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से लिया जा सकता है तथा ट्रायल जज इस प्रकार से साक्ष्य ले सकता है। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीकी विकास को देखते हुए अपराध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 273 के अन्तर्गत इस तरह से साक्ष्य लिया जाना भी सही माना गया है ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी श्रीमती इन्दु गुप्ता ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करने तथा इसके फायदों के बारे में बताया। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तथा साईबर एक्सपर्टस को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग की बारीकियों को समझाया तथा इस कार्य में आने वाली कठिनाईयों का निराकरण भी बताया। श्रीमती गुप्ता ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के अनुश्रवण में विभिन्न राज्यों के न्यायिक, जेल, अभियोजन तथा पुलिस अधिकारियों के लिए गाजियाबाद, चण्डीगढ़, कोलकाता तथा हैदराबाद स्थित केन्द्रीय गुप्तचर प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा विडियो कॉन्फ्रेंसिंग करने पर पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
जयपुर स्थित केन्द्रीय गुप्तचर प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक श्री प्रमोद वर्मा के मार्गदर्शन से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राजस्थान पुलिस अकादमी में गुरूवार से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि न्यायालय तथा जेल के बीच की दूरी कम करके त्वरित न्याय दिलवाने में यह सहायक होगा। श्री वर्मा ने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेशी पर अपराधियों के लाने, ले जाने में होने वाला व्यय, श्रम तथा समय तीनों की बचत होगी तथा सुरक्षा कारणों से भी यह उपयोगी होगा ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में शुक्रवार को चण्डीगढ तथा कोलकाता के प्रशिक्षण अधिकारियों द्वारा व्यावहारिक रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का अभ्यास करवाया जायेगा। इसके अतिरिक्त तकनीकी में बदलाव के बारे में भी बताया जायेगा।