

पांच माह पूर्व राजस्थान में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने वाले मतदाताओं ने एक बार फिर उसे सभी पच्चीस सीट प्रदान कर अपने इस नारे को सार्थक कर दिखाया है कि वसुंधरा तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के पीछे मुख्य कारण वसुंधरा सरकार की नीतियां रही। लोगों में वसुंधरा राजे सरकार के प्रति नाराजगी थी, और विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी नाराजगी मतदान के जरिये दिखा भी दी। वहीं देश की बागडोर संभालने के लिए उन्हें मोदी से बेहतर कोई विकल्प नजर ही नहीं आया।
दिसम्बर में संपन्न विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस महज पांच माह में ही लोकसभा चुनाव में चारों खाने चित्त हो जाएगी इसका गुमान स्वयं कांग्रेस तक को नहीं था, लेकिन इसका अहसास मतदाताओं के तेवर से हो रहा था। कांग्रेस लोगों के इस तेवर को भांप नहीं पाई। यहीं कारण रहा कि राजस्थान के लोगों ने कहीं नजर नहीं आ रही मोदी लहर के बावजूद उन्हें छप्पर फाड़ प्रदेश की सभी पच्चीस सीट सौंप दी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को सभी पच्चीस सीट पर जीत मिली थी।
ये रहे कांग्रेस की हार के प्रमुख कारण
राजस्थान के मतदाताओं ने वसुंधरा तेरी खैर नहीं, मोदी से बैर नहीं के नारे के अनुरूप ही विधानसभा व लोकसभा चुनाव में मतदान किया। उन्होंने विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ता कांग्रेस को सौंप दी, लेकिन देश का नेतृत्व करने के लिए उनकी पसंद मोदी ही रहे।
मोदी के राष्ट्रवाद का मुद्दा लोगों के सिर चढ़ कर बोला। विशेषरूप से पाकिस्तान के घर में घुस कर हमला करने के फैसले से मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति जाहिर हुई और लोगों ने इसे पसंद करते हुए उन पर अपना पूरा भरोसा जताया।
मोदी के बड़े कद के सामने जातिवाद पूरी तरह से धरा रह गया। सारे जातिय समीकरण पूरी तरह से गड़बड़ा गए। मसलन लोगों ने जाति के स्थान पर मोदी के हाथ मजबूत करने के लिए उनके प्रत्याशी की जाति पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को मोदी मान वोट दिया।
किसानों का कर्जा माप करने के नाम पर सत्ता में आई कांग्रेस इस मसले पर किसानों का दिल नहीं जीत पाई। इस योजना के धरातल पर प्रभावी क्रियान्वयन के अभाव में किसानों ने इसे मुर्ख बनाने का गोरखधंधा समझा। फिर दो-तीन किसानों की आत्महत्या ने उनकी इस सोच को और पुख्ता किया। ऐसे में उन्होंने दिल खोलकर मोदी पर भरोसा जताया।