

आज के टाइम में सभी लोग अलग-अलग देवी देवताओ की पूजा- उपासना करते है, हमारे इस ब्रह्मांड में कई सारे ऐसे लोक है जिसमे अलग-अलग देवी देवताए निवास करते है. कुछ मान्यता के मुताबिक हमारे नजदीकी लोक में रहने वाले देवी-देवता जल्दी ही प्रसन्न हो जाते है, ऐसा इसीलिए होता है की लगातार एक ही दिशा और समय पर कोइ मंत्र की साधना करते है तो उन तक तरंगे जल्दी ही पहुच जाती है, और इसी कारण से यक्ष, गन्धर्व, अप्सरा की कि हुयी साधनाए जल्दी पूरी हो जाती है क्योकि इन सबके लोक हमारी पृथ्वी के सबसे पास में है.
यक्ष यानि की जादू की शक्तिया और यक्षिणी को शिव जी की दासिया भी कहा जाता है, आदि- अनादी काल में ये सब रहस्यमई जातीया थी. जैसे की देव, दानव, यक्ष, राक्षस, गन्धर्व, किन्नर, वानर, अपसराए, रीझ, किरात, नाग, भल्ल आदि. ये सभी मानव जाती से कुछ अलग ही थे.
क्या आपको पता है की देवो के बाद देवीय शक्तियों में दूसरा नंबर यक्षो का ही आता है, पर लोगो की कुछ गलत मान्यताये भी है जिसमे लोग यक्षिणीयो को किसी भूत-प्रेत की तरह मानते है. वैसे हम आपको बतादे की यक्षिणीया सकारात्मक शक्तिया है और पिशाचिनियां नकारात्मक शक्तिया है.
इन सबके अंदर कुछ रहस्यमई ताकते होती है जिससे वे मानव जाती की मदद करते है, जैसे की रावण का सौतेला भाई कुबेर जो की एक यक्ष था और रावण एक राक्षस.
इससे जुडी भी एक कहानी प्रचलित है जिसमे महर्षि पुल्सत्य के पुत्र विश्रवा की दो पत्निया थी इल्विला और कैकसी. इलविला यक्ष जाती की थी और कैकसी राक्षस जाती की ठीक वैसे ही इलविला के गर्भ से कुबेर का जन्म हुआ जो की एक यक्ष है और कैकसी से रावण, विभीषण और कुम्भकर्ण जो की राक्षस थे.
● पद्मिनी यक्षिणी ● कनकावती यक्षिणी ● मनोहारिणी यक्षिणी ● सुर सुन्दरी यक्षिणी ● रतिप्रिया यक्षिणी ● नटी यक्षिणी ● कामेश्वरी यक्षिणी ● अनुरागिणी यक्षिणी