

कर्नाटक में पांच दिनों से जारी राजनीतिक उठापटक अब खत्म होती दिख रही है। येदुरप्पा के इस्तीफे के बाद अब माना जा रहा है कि जेडीएस कांग्रेस की मदद से आराम से बहुमत तक पहुंच जाएगी। कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा के सरकार ना बना पाने का असर सिर्फ कर्नाटक तक रहेगा, ऐसा नहीं लगता है। इसका सीधा असर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा, जो कि एक साल के भीतर होने हैं। ये पूरा घटनाक्रम विपक्ष का हौंसला बढ़ाने वाला होगा और इसकी कई वजह हैं। इस पूरे घटनाक्रम में कई संदेश छुपे हैं जो 2019 में विपक्ष को साथ लाने में अहम हो सकते हैं और मोदी से दिल्ली दूर हो सकती है।
विपक्ष को कड़वाहट भुलाने में मदद करेगा कर्नाटक!
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस एक-दूसरे पर हमलावर रहे लेकिन नतीजे साफ होने से पहले ही जब रुझानों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन की बात कह दी। ये कहीं ना कहीं 2019 में विपक्ष को आपसी कड़वाहट भुलाकर साथ आने के लिए एक मैसेज की तरह से काम करेगा कि अगर भाजपा को हराना है तो साथ आना होगा और ये कारगर भी रहेगा।