

हर घर, मंदिर और शॉप में रोज पूजा होती है। शास्त्रों के अनुसार पूजा विधि पूर्वक मंत्र सहित करनी चाहिए इससे देवी-देवता प्रसन्न होते है और शक्तियां देते है! अगर आप भी रोज भगवान की साधना, पूजा-पाठ करते हैं तो आपको जानकारी होनी चाहिए कि किसी भी भगवान की साधना करने से पहले स्वस्ति मंत्र का वाचन करना जरूरी होता है जिससे भगवान जाग्रत होते हैं। इस मंत्र का जप करने से सुख और शांति आती है।
स्वस्ति का मतलब सु+अस्ति= स्वस्ति, अर्थ- कल्याण हो।
स्वस्ति मंत्र का जप करने से मन और हृदय का मिलन होता है। इस मंत्र का जप करते समय दूर्वा घास से जल के छींटे डाले जाते थे। ऐसा करने से नेगेटिव एनर्जी खत्म हो जाती है। यह जगत कल्याण, परिवार कल्याण और अपने कल्याण के लिए शुभ वचनों का प्रयोग करना ही स्वस्तिवाचन कहलाता है। हमेशा इस मंत्र के उच्चारण से ही पूजा-पाठ, प्रार्थना शुरू करनी चाहिए।
मंत्र
ऊं शांति सुशान्ति: सर्वारिष्ट शान्ति भवतु। ऊं लक्ष्मीनारायणाभ्यां नम:। ऊं उमामहेश्वराभ्यां नम:। वाणी हिरण्यगर्भाभ्यां नम:। ऊं शचीपुरन्दराभ्यां नम:। ऊं मातापितृ चरण कमलभ्यो नम:। ऊं इष्टदेवाताभ्यो नम:। ऊं कुलदेवताभ्यो नम:।ऊं ग्रामदेवताभ्यो नम:। ऊं स्थान देवताभ्यो नम:। ऊं वास्तुदेवताभ्यो नम:। ऊं सर्वे देवेभ्यो नम:। ऊं सर्वेभ्यो ब्राह्मणोभ्यो नम:। ऊं सिद्धि बुद्धि सहिताय श्रीमन्यहा गणाधिपतये नम:। ऊं स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु॥ ऊं शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥