पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोमवार को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) से कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की। दरअसल, शहबाज 6-8 अप्रैल तक 3 दिन के दौरे पर सऊदी अरब में थे। इस दौरान उनके साथ कैबिनेट के कई मंत्री और पंजाब प्रांत की CM मरियम नवाज भी मौजूद थीं।

बैठक के बाद दोनों देशों की तरफ से जारी हुए जॉइंट स्टेटमेंट में कहा गया, “भारत और पाकिस्तान को बातचीत के जरिए अपने बीच के विवाद सुलझाने की जरूरत है। जम्मू-कश्मीर का मसला इसमें सबसे ऊपर है। इसी के जरिए क्षेत्र में शांति और स्थिरता आ सकती है।”

शहबाज ने सऊदी क्राउन प्रिंस को पाकिस्तान का न्योता दिया
पाकिस्तान में फरवरी में हुए आम चुनाव के बाद PM शहबाज शरीफ का यह पहला विदेश दौरा था। सऊदी के क्राउन प्रिंस ने उन्हें रमजान के महीने में मक्का में इफ्तार पार्टी का निमंत्रण दिया था। इस भोज में बहरीन के प्रधानमंत्री और क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमद बिन अल खलीफा भी शामिल हुए।

जियो न्यूज के मुताबिक, शहबाज ने सऊदी क्राउन प्रिंस को पाकिस्तान आने का भी न्योता दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। हालांकि, यह दौरा कब होगा, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। साथ ही MBS ने पाकिस्तान के लिए 5 अरब डॉलर (41.62 हजार करोड़) के निवेश की प्रक्रिया को भी जल्द शुरू करने का आश्वासन दिया।

आर्टिकल 370 हटने पर सऊदी ने कहा था- यह भारत का आंतरिक मसला
सऊदी अरब लंबे समय से भारत के साथ रिश्तों को बेहतर करने पर फोकस करता आया है। इस दौरान कश्मीर मुद्दे पर उसने कई बार निष्पक्ष रवैया अपनाया है। 2019 में कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद सऊदी ने इसे लेकर चिंता जताई थी। हालांकि, उसने भारत सरकार के फैसले की आलोचना न करते हुए इसे भारत का आंतरिक मसला बताया था।

2019 में जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान भारत की स्टेट विजिट पर आए तो वो पाकिस्तान होते हुए आए थे। भारत ने पिछले साल G20 समिट की एक बैठक कश्मीर में की थी। इसमें सऊदी ने अपने प्रतिनिधि को भेजने से इनकार कर दिया था।

दिवालिया हो रहे पाकिस्तान को आर्थिक मदद करता है सऊदी
सऊदी अरब अपनी अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता को कम करना चाहता है। ऐसे में वो ट्रेड के लिए नए पार्टनर ढूंढ रहा है। भारत भी उनमें से एक है। हालांकि, वो पाकिस्तान को बहुत ज्यादा खफा नहीं कर सकता है।

इसकी एक बड़ी वजह ईरान है। 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान में शिया धर्मगुरुओं को सत्ता मिल गई। वहीं सऊदी अरब सुन्नी बहुल देश है। ऐसे में सालों से दोनों के बीच मिडिल ईस्ट में दबदबे की लड़ाई है। इसके लिए सऊदी पाकिस्तान को अपने खेमे में रखना चाहता है।

सऊदी अरब हमेशा से पाकिस्तान की आर्थिक तौर पर काफी मदद करता रहा है। पिछले साल जुलाई में सऊदी ने पाकिस्तान को आर्थिक तंगहाली के बीच 2 अरब डॉलर का लोन दिया था। 2020 तक पाकिस्तान को कर्ज देने वाले देशों में सऊदी पहले नंबर पर था।

पाकिस्तान को आर्थिक मदद देकर सऊदी रणनीतिक रूप से अपनी पोजिशन को मजबूत करना चाहता है। दरअसल, पाकिस्तान से ईरान का 909 किलोमीटर का बॉर्डर लगता है। पाकिस्तान से निष्कासित पत्रकार ताहा सिद्दीकी के मुताबिक सऊदी आर्थिक पैकेज और निवेश के जरिए पाकिस्तानी सरकार की वफादारी खरीद रहा है। सऊदी अपने हिसाब से पाकिस्तान की सीमाओं पर नीति बनवाता है।