स्वर्ण नगरी जैसलमेर में इन दिनों ऐतिहासिक इमारतों को फाइन आर्टस के कलाकार अपने कैनवास पर उतार रहे हैं। गलियों में कलर लिए एक कोने में बैठे कलाकार जब कैनवास पर जैसलमेर की इमारतों को उकेर कर उनमें रंग भरते हैं, तब आते जाते लोग भी एक बार भी देखते हैं, तो ठहर जाते हैं। सोनार किला, पटवा हवेली, बड़ाबाग, गड़ीसर लेक आदि सभी इमारतों को अपने कैनवास पर उतार कर कलाकार जैसलमेर को दुनिया के सबसे बेहतरीन सिटी में से एक मानते हैं। दरअसल, जैसलमेर में इन दिनों चित्रसूत्र आर्ट अकादमी, महाराष्ट्र के फाउंडर विक्रांत शितोले (43) अपने 45 स्टूडेंट्स और फाइन आर्टस के कलाकारों के साथ आए हुए हैं। इन कलाकारों में 17 राज्यों के कलाकार शामिल हैं। फाइन आर्टस के माध्यम से ऐतिहासिक इमारतों को कैनवास पर उकेर कर उसमें रंग भरते हैं और इन पेंटिंग को ऐग्जीबिशन में लगाते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे देखें। और उसे अपने साथ ले जाए। कई पेंटिंग को पुरस्कार भी मिलते हैं। जिसमें कलाकारों की हौसला अफजाई होती है।

कोरोना काल से मिली पहचान, हैरिटेज दिल को मोहते हैं

चित्रसूत्र आर्ट अकादमी, महाराष्ट्र के फाउंडर विक्रांत शितोले बताते हैं कि पेंटिंग को ज्यादातर लोग प्रोफेशन के रूप में नहीं अपनाते हैं। मगर कोरोना काल में लोगों ने इसे सीरियसली लिया और उनसे सीखने के लिए ऑनलाइन क्लासेज ली। आज देश दुनिया में उनके हजारों स्टूडेंट है जो फाइन आर्ट के माध्यम से चित्रकारी को सीख रहे हैं। उनका मानना है कि एआई और डिजिटल की दुनिया आ जाने से भी हाथों से बनाई चित्रकारी ज्यादा सजीव और दिल के करीब होती है। क्योंकि उसमें फीलिंग होती है। वे चाहते हैं कि भारत की कला और संस्कृति बहुत ही समृद्ध हो और ये देश दुनिया में फैले। ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी चित्रकारी के माध्यम से भारत को जाने और कलाकारी को पहचानें।

विक्रांत और उनकी टीम ने बताया कि वे हैरिटेज को ज्यादा से ज्यादा कवर करते हैं। क्योंकि हैरिटेज दिल को मोह लेता है। प्राचीन इमारतों में की गई कारीगरी और शिल्पकला इंसान को अपनी तरफ बरबस खींचती है। ऐसे में हम लोग देश भर में घूमते हैं और ऐतिहासिक इमारतों के स्केच बनाते हैं। जैसलमेर में भी वे मकानों पर पीले पत्थरों से हुई कारीगरी और ऐतिहासिक इमारतों की शिल्प कला को अपने कैनवास पर उतार रहे हैं। वे इस दौरान अपने स्टूडेंट को सिखाते भी हैं। साथ ही बढ़िया स्केच बनाने के लिए मोटिवेट भी करते हैं।

ऐग्जीबिशन में सजती है तस्वीरें, दुनिया भर से जुड़ रहे स्टूडेंट, भारत की कला को बढ़ावा देना ही जीवन का उद्देश्य

विक्रांत बताते है कि इन पेंटिंग को इकट्ठा कर वे ऐग्जीबिशन लगाते हैं। लोगों को इनवाइट करते हैं। वे बताते हैं कि लोग आते हैं और उनकी बनाई गई तस्वीरों की तारीफ करते हैं। क्योंकि ये बहुत ही सजीव होती हैं और वाटर कलर से हाथों से बनाई होती है। उनकी व उनके स्टूडेंट की बनाई कई तस्वीरों को ऐग्जीबिशन में सराहा गया है। और कई बार इनाम भी मिले हैं। वे कहते हैं कि लोग इनको खरीदते भी है। एक टैक्सी ड्राइवर पिता और टीचर मां के बेटे 43 साल के विक्रांत शीतोले ने बताया कि उनकी बचपन से ही पेंटिंग बनाने का बहुत शौक था। उनकी मां चित्रकारी के लिए मोटिवेट भी करती हैं। जिसकी वजह से वे आगे बढ़ पाए। आज से करीब 6 साल पहले उन्होंने महाराष्ट्र में चित्रसूत्र आर्ट अकादमी कि स्थापना की। इसके माध्यम से वे लोगों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से पेंटिंग सिखाते हैं। आज देश दुनिया में उनके हजारों स्टूडेंट है। वे स्टूडेंट को ऐसी लाइव लोकेशन पर भी लेकर आते हैं, ताकि वे आर्ट से जुड़े हैं और अपनी आत्मा उसमें डाल सकें। विक्रांत कहते हैं कि भारत कि कला और यहां की संस्कृति इतिहास को अपनी कला के माध्यम से वे दुनिया को दिखाना चाहते हैं। लोग आधुनिकता में पश्चिम को फॉलो करते हैं जबकि वे चाहते हैं कि भारत इतना समृद्ध है कि उसको जितना एक्सप्लोर किया जाए उतना कम है। वे चाहते हैं भारत कि कलाओं को सभी लोग सीखें और जाने।

तनेराव सिंह
जैसलमेर