रमक झमक की ओर से कलकता के उद्योगपति दाऊलाल देरासरी और
कोलकाता भैरूबाड़ी महालक्ष्मी मंदिर पीठ के अधिष्ठाता पं. अशोक कुमार भादाणी का महानगर में बीकानेर की संस्कृति के प्रचार-प्रसार और संरक्षण के लिए सम्मान किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संत भावनाथ महाराज ने की। उन्होंने कहा कि बीकानेर की परम्पराएं और यहां के रीति-रिवाज प्रत्येक व्यक्ति को आपस में जोड़ने वाले हैं। इन परम्पराओं को कलकता तक जीवंत बनाए रखना अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों का सम्मान अनुकरणीय और दूसरों के लिए प्रेरणादायी है।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेषक हरि शंकर आचार्य ने कहा कि हमारी संस्कृति सही मायनों में हमारी विरासत है। इसे बचाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। रमक-झमक द्वारा इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले ऐसे लोगों को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।
विशिष्ट अतिथि सहायक कोषाधिकारी अशोक हर्ष ने कहा कि बीकानेर मूल के अनेक लोगों ने देश और दुनिया में अपनी विशेष पहचान बनाई है। ऐसे लोग शहर और समाज के लिए थाती हैं। उन्होंने कहा कि रमक झमक द्वारा नवाचार के रूप में किया गया यह कार्य अनुकरणीय है।
सम्मानित होने वाले उद्योगपति दाऊ लाल देरासरी ने कहा कि किसी भी प्रवासी के लिए मातृभूमि और मातृभाषा सबसे ऊपर होती है। इनके प्रति कृतज्ञ होना जरूरी है। उन्होंने राजस्थानी भाषा को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करना चाहिए।
पं. भादाणी ने कहा कि बीकानेर की जीवंत परंपराएं और तीज त्योहार पूरे देश में विशेष पहचान रखते हैं। इन्हें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है।
रमक-झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरूं’ ने बताया कि देराश्री और भादानी ने कलकता में बीकानेर को विशेष पहचान दिलाई है। इन्होंने उद्यम एवं कर्मकांड के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। संस्था द्वारा सस्कृति के लिये कार्य करने वाले ऐसे लोगों का अनवरत सम्मान किया जा रहा है।
इससे पहले अतिथियों ने पाग, शॉल, ओपरना, रमक झमक की किताबों का सेट और अभिनंदन पत्र भेंट भादानी और देराश्री का सम्मान किया। इस दौरान जुगल किशोर पुरोहित, शिव दाधीच, डॉ. कृष्णा आचार्य, अजय पुरोहित,बाबू बम्ब चकरी,डॉ. अजय जोशी तथा श्रीगंगानगर के शहर शेखर आसोपा द्वारा परम्परा,सस्कृति और महानगर कल्चर पर कविता पाठ किया गया।समाज सेवी शेर महाराज ने आशीर्वचन दिया। कार्यक्रम का संचालन बाबू लाल छंगाणी ने किया। इस दौरान सुरेंद्र व्यास, गोपाल व्यास, नवरतन देरासरी, गिरिराज देरासरी आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।