फलोदी सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड के सहयोग से दूसरा दशक द्वारा फलोदी में एक दिवसीय जेण्डर सेंसेटिविटी अनुभव शेयरिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में 7 ग्रामीण स्कूलों के विद्यार्थियों व शिक्षकों तथा ओपन स्कूल की किशोरियों ने भाग लिया। दूसरा दशक की प्रशिक्षिका कंचन थानवी ने 10 स्कूलों में हुई जेण्डर सेंसेटिविटी कार्यशालाओं की जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह कार्यशालाएं हमारे लिए भी एक नई दिशा देने वाली साबित हुई। हमें लगता है इस तरह की कार्यशालाएं हर विद्यालय में होनी चाहिए। फलोदी के प्रथम जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि पहले की तुलना में महिलाओं व पुरुषों के कार्य एवं व्यवहार में बहुत परिवर्तन आया है। लिंग भेद की बात करते हुए कहा कि प्रकृति के लिए महिला व पुरुष दोनों अनिवार्य अंग है। अब सरकारी भर्तियों में महिलाओं की संख्या बढ़ने लगी है। मैंने महसूस किया है कि महिलाएं ज्यादा रुचि लेकर काम करती हैं। फलोदी सीबीओ किशोर बोहरा ने कि अपने बचपन का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे खेलों में, खिलोनों में, रंगों आदि में जेण्डर को महसूस किया जा सकता हैं। उन्होंने दूसरा दशक द्वारा बालिका शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यहां बालिकाओं को बोलने का एक विशेष हौसला मिलता है। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने कार्यशालाओं के अनुभव सुनाने के साथ ही घर में व स्कूल में हुए परिवर्तन के अनुभव बताए। घटोर के छात्र फिरोज ने राष्ट्रपति मुर्मू का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें भी अपनी बहनों को आगे बढ़ने के अवसर देने चाहिए। रऊफ ने कहा कि कार्यशाला के बाद लड़के-लड़कियां मिलकर विद्यालय की सफाई करते हैं। बाप की छात्रा किरण पंवार, धौलिया की ममता ने कहा कि हमारी सोच में भी परिवर्तन आया है। शेखासर के गोपाल ने कहा कि अब मैं घर के काम में हाथ बटाने लगा हूं। इन विद्यार्थियों के अलावा माया, अनिता, कुमकुम, मंजू आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कानासर विद्यालय की अध्यापिका निशा ने कहा कि लड़कियों को मजबूती के साथ अपना मुद्दा खुद उठाना चाहिए। शेखासर विद्यालय अध्यापक योगश का कहना था कि सिंधु सभ्यता एवं वैदिक काल में भी महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक थी। कानासर ढाणी विद्यालय की अध्यापिका कौशल्या का कहना था कि लड़कियों को पढ़ाई के मामले में पीछे नहीं रहना चाहिए। कालू खां की ढाणी की अध्यापिका चंद्रकांता ने कहा कि परिवर्तन की शुरूआत घर से हो और महिला-पुरुष में समान स्तर पर जिम्मेदारी का विभाजन होना चाहिए। घटोर के अध्यापक अमृताराम ने कार्यशालाओं को बहुत उपयोगी पहल बताया।
इस अवसर पर सौर्य ऊर्जा कम्पनी के मनोज कुमार व्यास, दूसरा दशक के अमरू चौधरी, अणदाराम, नीलम, बशीरों, राजेन्द्र बोहरा, कीर्ति, राखी आदि उपस्थित थे। परियोजना निदेशक मुरारीलाल थानवी ने सभी का आभार व्यक्त किया।