बीकानेर अपनी गंगा जमुनी तहजीब के लिए भी जाना जाता है. यहां सभी धर्म के लोग मिल जुलकर रहते है. यहां एक ऐसा अनोखा मंदिर है जो पूरे भारत में सिर्फ यही पर है. हम बात कर रहे है बड़ा बाजार घुमचककर स्थित सत्यनारायण मंदिर और गुरुद्वारे की. यहां मंदिर में गुरुद्वारा लगता है. सुनने में भले ही अजीब लगेगा लेकिन यह सच है कि यहां मंदिर के साथ गुरुद्वारा है जहां रोजाना मंदिर में पूजा अर्चना के साथ गुरुवाणी भी होती है. यहां मंदिर के पुजारी ही मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद गुरुद्वारे में पाठ करते हैं.
पुजारी केदारदास साध ने बताया कि यह मंदिर और गुरुद्वारा करीब 500 साल पुराना है. संतों के सानिध्य में प्रवचन भी होते थे. रोजाना गिनती के लोग ही दर्शन करने आते हैं. सुबह 5 से 6 बजे तक मंदिर खुलने के बाद 7 बजे तक पूजा अर्चना की जाती है और इसके बाद 9 से 10 बजे गुरुद्वारा में पाठ करते हैं. इसके साथ अरदास भी करते हैं. वे बताते है कि गुरुद्वारा में पाठ करने से पहले सिर को ढकते है और सत्यनारायण मंदिर में पूजा अर्चना करते है तो सिर को ढके हुए रखते है. इसके अलावा गुरुद्वारे में भोग भी लगाया जाता है. यहां गुरुवाणी तो रोज होती है.
1509 गुरु नानकदेव पहुंचे थे यहां
सिख धर्म के संस्थापक प्रथम गुरु नानकदेव का संबंध बीकानेर से भी रहा है. 15वीं सदी में गुरु नानकदेव ने सिख धर्म की स्थापना की थी. सिख धर्म के विस्तार, मानवता की रक्षा और सद्भाव के लिए 1507 से उन्होंने उदासी यानी विचरण यात्राएं प्रारंभ की. सन 1515 तक विभिन्न चरणों में चली इस यात्रा के दौरान गुरु नानकदेव ने विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया. इसी यात्रा के दौरान सन 1506 से 1509 के तीसरे चरण की उदासी यात्रा में वह बीकानेर पहुंचे.