बीकानेर में गणगौर का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. बीकानेर में सभी गणगौर की प्रतिमा को पानी पीने के लिए चौतीना कुए पर ले जाया दाता है, लेकिन बीकानेर में दो गणगौर है जो वहां पर नहीं जाती है और घर पर ही रहकर पानी पीती हैं. इनमें एक तो ढड्ढा की गणगौर तो वहीं आसानियों के चौक स्थित मंशापूर्ण कान गवरजा. इस गणगौर माता को कही पर भी नहीं लेकर जाते है. यह गणगौर माता घर पर ही रहती हैं.

सालों से यह परंपरा निभा रहे दिलीप कुमार बिस्सा ने बताया कि यह गवर यानी परंपरा काफी साल पुरानी है. आसानियों के चौक स्थित घर में ओरे यानी कमरे में गणगौर माता रहती है. अगर किसी भक्त की कोई मनोकामना पूरी हो जाती है. तो वे आते हैं और गणगौर माता के दर्शन करते हैं. इस दौरान यहां लोग कमरे को खोलकर दर्शन करते हैं. यहां माता जी अपने स्थान पर ही रहती हैं. यह मंशापूर्ण कान गवरजा माता कहते हैं. यहां भक्त गणगौर माता को मौली बांधते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं. यहां भक्त गणगौर माता के कान में अपनी मनोकामना मांगते हैं. वे बताते है कि हर साल आसानियों के चौक में मेले के दौरान 11 महिलाओं की गोद भराई करते हैं. यहां 11 महिलाओं को एक भाया और प्रसाद देते हैं.

सभी की मनोकामनाएं होती है पूरी
वे बताते है कि मेरे छोटे भाई को कोई बच्चा नहीं हो रहा था. तब उनकी माता जी ने प्रण लिया कि जब तक उसका बच्चा नहीं होगा तब तक ही मेला नहीं भरा जाएगा. गणगौर माता के आशीर्वाद से मेरे छोटे भाई को शादी के दस साल बाद बच्चा हुआ और फिर माता जी के मेला भरना शुरू कर दिया. पिछले 12 साल से अपने चौक पर मेला लगा रहा है. जहां लोग बड़ी संख्या में गणगौर माता के दर्शन करने के लिए आते हैं. इसके साथ ही धीना गवर पर भी यहां मेला भरता है. यहां लोग गणगौर माता से कई तरह की मनोकामना मांगते है. यहां ज्यादातर महिलाएं अपने बच्चे की प्राप्ति के लिए मनोकामना मांगती हैं. जो भी भक्त आस्था लेकर आते है तो उनकी मनोकामना पूरी होती है. यहां तीज और चौथ पर मेला लगता है.