राजस्थान विश्वविद्यालय पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग और राजा राम मोहन राय राष्ट्रीय पुस्तकालय ने “इनोवेटिव लाइब्रेरी टेक्नोलॉजी व सर्विसेज़“ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी में नेशनल लाइब्रेरी के निदेशक डॉ अजय प्रताप सिंह ने कहा कि सार्वजनिक पुस्तकालय राज्य का विषय रहेंगे तब तक कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होगा। केंद्र सरकार इस दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। सार्वजनिक पुस्तकालय सेवा को ग्राम पंचायत स्तर तक ले जाते हुए देश की क़रीब पैंतालीस हज़ार ग्राम पंचायतों पर डिजिटल लाइब्रेरी के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से प्रस्ताव मंगाये है। देश के पुस्तकालय आंदोलन के लिए यह एक बड़ा प्रयास होगा। देश में सार्वजनिक पुस्तकालय सेवा की स्थिति उतनी उपयोगी नहीं है जितनी आज ज़रुरत है। देश में पुस्तकालयों की योजनाएँ ब्यूरोक्रेट्स बनाते हैं। जबकि इन्हें व्यावहारिक बनाने के लिये इसमें पुस्तकालय के यूज़र्स व लाइब्रेरी प्रोफेशनल का सहयोग लिया जाना चाहिए। आज गाँवों के बच्चों को पुस्तकालय सेवा के लिए बड़े क़स्बों या शहरों की तरफ़ भागना पड़ता है। यदि गाँव में ही उन्हें यह सब सुविधाएँ मिल जाएगी तो उनका समय और धन भी बचेगा। पुस्तकालय विज्ञान विभाग अध्यक्ष प्रो सुनीता अग्रवाल ने विभिन्न क्षेत्रों से आए लाइब्रेरी प्रोफेशनल्स का स्वागत कर पुस्तकालय का महत्व दर्शाते हुए सभी को दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस हेतु बधाई प्रेषित की। डॉ संतोष गुप्ता संगोष्ठी सचिव ने बताया कि लगभग 200 पुस्तकालय प्रेमी इस सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से शामिल हो रहे हैं। महेंद्रसिंह राव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर भाषा एवम् पुस्तकालय विभाग के निदेशक महेंद्र कुमार खींची ने कहा कि आज का युवा पाठक बहुत उत्साही व जिज्ञासु है। वो आपसे बहुत अपेक्षा रखता है, ऐसे में पुस्तकालय और पुस्तकालयाध्यक्ष को सूचनाओं के साथ साथ ज्ञान व नई तकनीक से लगातार समृद्ध रहना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार सार्वजनिक पुस्तकालयों में युवा पाठकों की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें प्रतियोगी साहित्य की उपलब्धता के लिए विशेष अभियान चला रही है। इस अवसर पर डॉ यदु शर्मा, डॉ संगीता गुप्ता ने भी अपने विचार व्यक्त किये।