जैसलमेर जिले की रियासत के पूर्व राजपरिवार सदस्य हुकम सिंह की सोमवार को बैकुंठ यात्रा मंदिर पैलेस से निकाली गई। इस दौरान सभी लोगों ने उनको नम आंखों से विदाई दी। उनकी बैकुंठ यात्रा मंदिर पैलेस से हनुमान चौराहे तक ले जा गई। इसके बाद फूलों से सजाए ट्रक में बड़ा बाग स्थित राजपरिवार के श्मशान घाट ले जाया गया, जहां उनके बेटे डॉ. जितेंद्र सिंह उनकी मुखाग्नि दी।

इस दौरान पूर्व विधायक सांग सिंह भाटी, रूपाराम धनदेव, कलेक्टर प्रताप सिंह, एसपी सुधीर चौधरी, जिला प्रमुख प्रताप सिंह समेत जिले के लोग और पूर्व राजपरिवार के सदस्य मौजूद रहे।
गौरतलब है कि 97 वर्ष की आयु में पूर्व राजपरिवार सदस्य हुकम सिंह ने रविवार को मंदिर पैलेस स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली। इसकी जानकारी मिलते ही पूरे जिले में शोक की लहर फैल गई। पूर्व राजपरिवार सदस्य हुकम सिंह के साथ ही एक युग का अवसान हो गया। जैसलमेर के पूर्व महारावल जवाहिर सिंह के अनुज पुत्र थे हुकम सिंह। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए है। इनके बेटे डॉ. जितेंद्र सिंह पूर्व MLA एवं UIT अध्यक्ष रह चुके हैं। आज मंदिर पैलेस से उनकी बैकुंठ यात्रा बड़ा बाग तक निकाली गई, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।

2 बार MLA रहे हुकम सिंह, पहले जिला प्रमुख रहे हुकम सिंह

पूर्व राजपरिवार सदस्य हुकम का जन्म 14 फरवरी 1927 को हुआ। इनका ननिहाल बूंदी के राजघराने में था। वहीं डूंगरपुर राजघराने में इनका ससुराल था। हुकम सिंह जैसलमेर जिले के पहले जिला प्रमुख रहे हैं। शुरुआत से ही उनकी रुचि राजनीति एवं जन कल्याण में रही है। वह लगातार 2 बार जैसलमेर के MLA रह चुके है। MLA के पहले कार्यकाल में इन्होंने जिला प्रमुख के दायित्व का भी निर्वहन किया। आगरा विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातक की उपाधि प्राप्त पूर्व राजपरिवार सदस्य हुकम सिंह 1957 से 1967 तक लगातार जैसलमेर के MLA रहे। वहीं इसी दौरान 1959 से 1967 तक जिले के पहले जिला प्रमुख का भी दायित्व संभाला। आमजन की समस्याओं का तुरंत समाधान एवं जैसलमेर के विकास की नींव भी इन्हीं के द्वारा रखी गई थी। इनकी अध्ययन में भी रुचि थी एवं कई भाषाओं के ज्ञाता थे। जिला प्रमुख के पद पर रहते हुए अपने मानदेय से जिला परिषद के पुस्तकालय में अनूठी पुस्तकों का संग्रह करवाया। जिसकी प्रशंसा तात्कालिक जिला कलेक्टर रजत मिश्र द्वारा भी की गई थी।

जैसलमेर के भारत विलय में भी महत्वपूर्ण योगदान, शुद्ध शाकाहार एवं सादा जीवन जीया

पूर्व राजपरिवार सदस्य हुकम सिंह ने जैसलमेर के भारत विलय में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जैसलमेर का विलय जब भारत गणराज्य में रहा था उस समय हुकम सिंह 22 वर्ष के नौजवान थे। अपने बडे भाई पूर्व महारावल गिरधर सिंह के साथ जैसलमेर की भौगोलिक एवं राजनैतिक विशेषता को देखते हुए भारत के विलय में अपनी सहमति एवं पूर्ण सहयोग जताया था। सरदार पटेल के साथ चली वार्ताओं में हुकम सिंह अपने बड़े भाई गिरधर सिंह के साथ रहते थे।
पूर्व राजपरिवार सदस्य हुकम सिंह ने अपने राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेने के बाद भी लोगों के साथ दिल से जुड़े रहे। वह जिले के किसी भी समाज के सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। वहीं उनके आवास पर उनसे मिलने जाने वाले के लिए कोई रोक टोक नहीं थे। शुद्ध शाकाहार एवं सादा जीवन उनकी विशेषता रही है। वह राजपरिवार के सदस्य होते हुए भी जड़ों से जुड़े थे। अपणायत एवं सादा जीवन उनकी जीवन शैली थी। 97 वर्ष की उम्र में उनके निधन से जैसलमेर में एक युग का अंत हो गया है। वह राजशाही से लेकर प्रजा शाही के प्रत्यक्ष गवाह थे। अपने आप में एक जीवंत इतिहास का अंत हो गया।

तनेराव सिंह
जैसलमेर