जयपुर। भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाणोत्सव एवं जैन अनुशीलन केंद्र, राजस्थान विश्वविधालय के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में “वर्तमान में वर्धमान” विषय पर राजस्थान विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन जैन अनुशीलन केंद्र एवं अनेकान्तवाद फाउंडेशन जयपुर के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ। आयोजन सचिव रोहित कुमार जैन ने संगोष्ठी की प्रस्तावना रखते हुए बताया कि तीर्थंकर भगवान महावीर का 2550वा निर्वाणोत्सव वर्ष शांति की तलाश कर रहे पूरे विश्व के लिए एक प्रकाश स्तंभ है। जिसकी रोशनी में वैश्विक समस्याओ का समाधान खोजा जा सकता है। आयोजन सह सचिव डॉ.नीलम जोशी ने सभी का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि पद्मभूषण डी आर मेहता, भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति ने बताया कि आज हमें अपनी आवश्यकताओं को सीमित करना चाहिए और अपने अलावा दूसरे के परिपेक्ष्य को समझना व स्वीकार करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि आर.सी.जैन, उपाध्यक्ष सुबोध जैन शिक्षा समिति ने बताया कि भगवान महावीर की वाणी विश्वकल्याण की वाणी है। सर्व हितार्थ है। अतिथि वक्ता डॉ धीरज जैन, अतिरिक्त आयुक्त आयकर विभाग दिल्ली ने कहा कि महावीर के सिद्धांत सर्वकालिक और सर्वजनिन है। आज की हिंसा और भागदौड़ भरी ज़िंदगी में अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांतवाद मानव को नई राह दिखा सकते हैं। इसलिए वर्तमान में वर्धमान की बड़ी आवश्यकता है। जैन अनुशीलन केंद्र के पूर्व निदेशक प्रो.अनिल जैन ने जैन परम्परा में स्त्री सरोकार पर विचार रखते हुए बताया कि महावीर स्त्री के लिए धर्म का मार्ग खोलते है। जैन परम्परा के ग्रंथ ब्राह्मी व सुंदरी माध्यम से स्त्री शिक्षा का मार्ग खोलते है। जैन धर्म में मातृत्व के प्रति अदभुत सम्मान का भाव है ।प्रो संजय जैन ने अनेकान्तवाद के सामाजिक परिपेक्ष्य पर विचार रखते हुए कहा कि यदि हम मतभेदों के सौंदर्य को नही समझते तो हम अनेकान्तवादी नही है। पारस्परिक समवन्य, सह अस्तित्व ,सदभाव अनेकान्तवाद के मूल मंत्र है। समारोह की अध्यक्षता प्रो.रश्मि जैन निदेशक जैन अनुशीलन केंद्र ने की। उन्होंने कहा कि आज के व्यक्तिवादी युग में भगवान महावीर के सिद्धान्तो का महत्व है। अहिंसा ,अपरिग्रह और अनेकांत की त्रिवेणी आज वैश्विक समस्याओ के समाधान में उपयोगी है।